• January to March 2024 Article ID: NSS8517 Impact Factor:7.60 Cite Score:228 Download: 20 DOI: https://doi.org/69 View PDf

    श्राद्ध माता पिता के ऋण से उऋण होने के लिए सरल मार्ग

      डॉ दादूभाई त्रिपाठी
        (व्याख्याता) कांगेर वैली अकादमी, निकट पं रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
  • शोध सारांश-  मनुष्य सभी ऋणों से मुक्त हो सकता है किन्तु माता पिता के ऋण से मुक्त होना संभव नहीं है, क्योंकि माता पिता जो कुछ अपनी संतान के लिए करते हैं, उसका मूल्यामूल्यांकन संभव नहीं है इसलिए उनका इसमें उनका समर्पण उनकी देन अतुलनीय है और पितृपक्ष में उन्हें स्मरण कर उनके लिए पूजा अर्चना करना हमारी सांस्कृतिक परंपरा है जिससे हमें सुख एवं संतुष्टि प्राप्त होती है इसीलिए मानवीय मर्यादाओं में पितरों का श्राद्धादिक कर्म करना श्राद्ध कर्म करने की आवश्यक आवश्यक है शास्त्रों में कहा गया है कि पुत्र अपने पिता के श्राद्ध के उद्देश्य से जितने कदम गया क्षेत्र की ओर चलता है, उतने ही कदम उनके पितरों के लिए स्वर्गारोहण सोपान बन जाते हैं। वायुपुराण में ऐसा कहा गया है

    गृहाच्चलितमात्रेण,गयायां गमनं प्रति।

                                   स्वर्गारोहणसोपानं,पितृणां पदे पदे।। (वायुपुराणम् १॰५, , ३९)