• January to March 2024 Article ID: NSS8518 Impact Factor:7.60 Cite Score:158 Download: 16 DOI: https://doi.org/70 View PDf

    दक्षिणी राजस्थान में जनंसंख्या की व्यावसायिक संरचना का एक तुलनात्मक भौगोलिक विश्लेषण (2001-2011)

      डाॅ.राजेन्द्र कुमार मेघवाल
        सहायक आचार्य भूगोल (वीएसवाय) राजकीय महाविद्यालय छोटी सरवन, बांसवाड़ा (राज.)
  • शोध सारांश- राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित भीलवाड़ा, राजसमन्द, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ एवं प्रतापगढ वाला यह क्षेत्र दक्षिणी राजस्थान के नाम से जाना जाता हैं। प्रदेश का अक्षांशीय विस्तार 23°1‘10“ से 26°1‘15“ उतरी अक्षांश तथा 73°1‘10“ पूर्वी देशान्तर से 75°43‘30“पूर्वी देशान्तर तक अवस्थित हैं। इसका क्षेत्रफल 47397 वर्ग किमी है जो समस्त राजस्थान के क्षेत्रफल 342239वर्ग किमी का 13.85 प्रतिशत हिस्सा हैं। इसका विस्तार पूर्व से पश्चिम 240 किमी तथा उतर से दक्षिण 210किमी हैं। यह क्षेत्र मध्यप्रदेश एवं गुजरात राज्यों की सीमा से जुड़ा हुआ हैं। उत्तर पूर्व से बूंदी एवं कोटा जिले पूर्व से रतलाम, मंदसौर एवं झाबुआ जिले (मध्यप्रदेश) तथा दक्षिण-पूर्व से गुजरात राज्य के बनासकांठा, सांबरकांठा तथा पंचमहल और पश्चिम में पाली तथा सिरोही जिलों से घिरा हुआ हैं। शोध क्षेत्र में 1981 में 47 तहसीले हैं, 1991 में 49 तथा वर्ष 2001 में तहसीलो की संख्या 51 हो गई। भारत की जनगणना 2011 के अनुसार तहसीलों की संख्या 54 हैं।सन् 2001 में क्षेत्र की कुल जनसंख्या 10046881 थी, जो राजस्थान की कुल जनसंख्या (56507188) का 17.78 प्रतिशत हिस्सा थी। सन् 2011 में क्षेत्र की कुल जनसंख्या 12231763 है, जो राज्य की कुल जनसंख्या (68548437) का 17.84 प्रतिशत हिस्सा हैं।जिसमें पुरुष जनसंख्या 50.64 प्रतिशत तथा महिला 49.36 प्रतिशत हैं। 2001 से 2011 के मध्य दशकीय वृद्धि दर 21.75 प्रतिशत रही हैं। दशकीय वृद्धि दर 2001 (25.64) की तुलना में -3.89 की गिरावट दर्ज की गई हैं जो क्षेत्र में शिक्षा, चिकित्सा, स्वास्थ्य सुविधाओं के बेहतर उपलब्धता का परिणाम हैं। 1901 से 2011 के मध्य 111 वर्षो की दशकीय वृद्धि दर का विश्लेषण करने से ज्ञात हुआ कि 1931, 1941, 1961, 1971, 1981 तथा 2001 में दशकीय वृद्धि दर धनात्मक रही तथा 1921, 1951, 1991, व 2011 के वर्षो में दशकीय वृद्धि दर ऋणात्मक रही । अध्ययन क्षेत्र में आज भी लोग मानसूनी कृषि पर रहकर अपना जीवनयापन करते है जिसके कारण क्षेत्र में अकार्यशील जनसंख्या का प्रतिशत ज्यादा हैं।