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January to March 2024 Article ID: NSS8471 Impact Factor:7.60 Cite Score:10423 Download: 143 DOI: https://doi.org/12 View PDf
मीडिया एवं महिला सशक्तिकरण
डाॅ. नसीम अख्तर
असिस्टेन्ट प्रोफेसर (समाजशास्त्र) श्रीमती बी0डी0 जैन कन्या महाविद्यालय, आगरा (उ.प्र.)
प्रस्तावना-आजकल
महिलाओं के लिए ‘कल्याण, ‘उत्थान, ‘‘विकास’और ‘जागृति जैसे शब्दों की अपेक्षा ‘सशक्त्ता’
शब्द का प्रयोग बडे पैमाने पर किया जा रहा है। ‘‘सशक्तता’ शब्द में ‘‘शक्ति’शब्द समाहित
है जिसका आशय ताकत से है तथा साथ ही शक्ति संतुलन को बदलने से हैं।
इस
प्रकार सशक्तता का तात्पर्य उस शक्ति से है जिसके द्वारा समाज में व्याप्त शक्ति संतुलन
को बदला जा सके। इस शक्ति संतुलन को बदलने से हमारा तात्पर्य है कि जो शक्ति, चाहे
वो सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त हो, पहले पुरूषों के
हाथों में भी अब उस पर महिलाओं का भी अधिकार हो। इस सशक्तता का उद्देश्य मर्दों को
कमजोर करना नहीं बल्कि महिलाओं केा इस प्रकार सशक्त करना है ताकि वे प्रत्येक क्षेत्र
में समानता का अधिकार प्राप्त कर सकें।
संक्षेप में महिला सशक्तिकरण का अभिप्राय है महिला अपने आप को शक्तिशाली बनाए। बाह्य घटक जैसे सरकारी, गैर सरकारी संस्थायें तथा सवेंदनशील पुरूष भी इस प्रयत्न में उसका साथ दे सकते हैं महिला सशक्तिकरण के लिए यह भी आवश्यक है कि उन्हें कानूनी सहायता तथा सूचना और प्रचार माध्यम की सुविधाओं की भी उचित मात्रा में उपलब्धि हो।