-
January to March 2024 Article ID: NSS8482 Impact Factor:7.60 Cite Score:13698 Download: 164 DOI: https://doi.org/27 View PDf
भारतीय परिदृष्य में हिन्दी भाषीय राष्ट्रीय विज्ञान पत्रिकाओं का अध्ययन
डाॅ. सावित्री परिहार
सह-आचार्य, रबीन्द्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी, रायसेन (म.प्र.)मनीष श्रीवास्तव
शोधार्थी , रबीन्द्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी, रायसेन (म.प्र.)
शोध
सारांश- वैश्विक
रूप से ज्ञान-विज्ञान परंपरा का इतिहास अति-प्राचीन है। लेखन परंपरा का इतिहास भी अतिप्राचीन
है लेकिन आधुनिक युग में प्रकाशन क्षेत्र के अंतर्गत प्रिंटिंग प्रेस की आधुनिक प्रणाली
का आविष्कार होने के बाद लेखन परंपरा का विकास भी तीव्रता से हुआ। इस कारण मुख्यतः
पुस्तक, पत्र, पत्रिकाओं का प्रकाशन तेजी से हुआ। इस माध्यम से भारत में अन्य प्रकाशनों
के साथ ही हिन्दी भाषीय विज्ञान पत्रिकाओं के प्रकाशनों की भी शुरुआत हुई। भारत में
विज्ञान आधारित हिन्दी पत्रिकाओं के प्रकाशन के इतिहास की शुरुआत 20वीं सदी से ही हुई
है। किन्तु एक सदी में ही हिन्दी पत्रिकाओं द्वारा भारत में विज्ञान जागरण का सर्वोत्तम
कार्य किया गया। पत्रिकाओं का प्रकाशन निजी और सरकारी दोनों स्तर पर किया गया है। विद्यार्थियों
तथा जन-सामान्य को इससे महत्वपूर्ण लाभ हुआ है।
शब्द
कुंजी-भारत में ज्ञान-विज्ञान, विज्ञान पत्रिकाएं,
सामाजिक प्रभाव।