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January to March 2024 Article ID: NSS8497 Impact Factor:7.60 Cite Score:7303 Download: 119 DOI: https://doi.org/49 View PDf
प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदाओं के रोकथाम एवं प्रबंध
डाॅ. विनिता भालसे
सहायक प्राध्यापक (राजनिति विज्ञान) शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अलीराजपुर (म.प्र.)प्रो. ममता कनेश
सहायक प्राध्यापक (समाजशास्त्र) शासकीय महाविद्यालय, अलीराजपुर (म.प्र.)
प्रस्तावना-
प्रकृति मनुष्य की पालनकर्ता है, प्राकृतिक संसाधनो का उपयोग करते
हूए मानव ने अपने जीवन को अत्यधिक सुखमय बनाया है, और इस क्रम में प्रकृति की सोम्यता
देखते हुए उस पर विजय प्राप्त करने की चेष्ठा की है, परन्तु यह स्पष्ट है कि जब प्रकृति
कुपित होती है तो फिर उसके आगे मनुष्य की नही चलती है, और विनाशकारी परिस्थतियां उत्पन्न
होती जिससे जनधन की हानि होती है,व जिस पर मानव का नियन्त्रण नही होता है। वह आपदा
कहलाती है। आपदा ऐसी असामान्य घटना है जो सीमित अवधि के लिए आती है, किन्तु किसी भुभाग
या देश का अर्थव्यवस्था को छिन्न - भिन्न कर देती, कोई भी आपदा मनुष्य को झकझोर देने
वाली घटना होती है, प्रायः एसी भयंकर घटना जिससे मनुष्य किंकर्तव्यविमुढ हो जाता है,
प्रायः जान गॅवा बैठता है।
चॅुकि कोई भी आपदा बताकर नही आती इसलिए पहले से सावधान या सतर्क
रहने की अवश्यकता होती है, कहा जाता है कि
जो राष्ट्र या देश जितना ही विकसित होगा। वह आपदाओ के प्रति उतना जागरूक होगा। प्रायः
विकासशील देश जिसमें निर्धन देशो की संख्या अधिक है, बार -बार आपदाओं के शिकार बनते
आए है। जो आपदा से ग्रस्त हो जाते है, पीडित होते है, उनको सहायता पहुॅचाना, उनकी रक्षा
करना समाज या राष्ट्र का कत्र्तव्य है।
इस
दिशा मे विभिन्न स्तरो पर कई प्रकार के कदम उठाये गए है।जिसमें भारतीय राष्ट्रीय आपदा
प्रबंधन संस्थान की स्थापना 1993 मे रियो डि जनेरो ब्राजील में भु-शिखर सम्मेलन और
मई 1994 में याॅकोहांग, जापान में आपदा प्रबंध पर विश्व संगोष्ठी तथा भारत मे 2005 अधिनियम बना कर आपदा से बचने के लिए ठोस कदम
उठाये गये।