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January to March 2024 Article ID: NSS8508 Impact Factor:7.60 Cite Score:87925 Download: 418 DOI: https://doi.org/60 View PDf
राजस्थान के टोंक जिले के सन्दर्भ में जनसंख्या के आकार के आधार पर सेवा केन्द्रों के पदानुक्रम निर्धारण का विश्लेषणात्मक अध्ययन
प्रवीण यादव
शोधकर्ता, महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर (राज.)डॉ. काश्मीर कुमार भट्ट
शोध पर्यवेक्षक, महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर (राज.)
शोध सारांश- सेवा केन्द्रों का तात्पर्य उन गाँवों से है जो अपने चारों
ओर स्थित क्षेत्र में कुछ निश्चित सेवाओं व आवश्कताओं की पूर्ति करते हैं तथा जो दूसरे
केन्द्रों से अपनी क्रियाओं एवं विस्तार के आधार पर भिन्नता रखते हैं। भूगोलवेत्ताओं
ने भिन्न-भिन्न स्तर पर सेवा केन्द्रों को अलग-अलग नामों से अभिव्यक्त किया है जैसेः-
विकास केन्द्र, केन्द्र स्थल, विकास ध्रुव तथा सेवा केन्द्र आदि। किसी भी क्षेत्र में
सेवा केन्द्र ग्रामीण विकास व ग्रामीण विकास की नीतियों एवं कार्यक्रमों को धरातल पर
क्रियान्वित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अध्ययन क्षेत्र टोंक एक प्राचीन
व ऐतिहासिक जिला रहा है।
प्रस्तुत शोध-पत्र में टोंक जिले के सेवा केन्द्रों की
स्थिति व जनसंख्या के आकार के आधार पर सेवा केन्द्रों का कोटि-आकार सम्बन्ध ज्ञात किया
गया है। इसके लिए द्वितीयक आँकड़ों का प्रयोग किया गया है तथा सेवा केन्द्रों की कोटि
ज्ञात करने के लिए जिफ के कोटि-आकार नियम विधि का प्रयोग किया गया है। सेवा केन्द्रों
की स्थिति दर्शाने के लिए जिले के प्रशासनिक मानचित्र का प्रयोग किया गया है तथा जिफ
के कोटि-आकार नियम की गणनाओं के लिए तालिका बनाई गई है।
शब्द कुंजी- सेवा केन्द्र, केन्द्र स्थल,
ग्रामीण विकास, नियोजन व विपणन।














