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January to March 2024
Article ID: NSS8533
Impact Factor:7.60
Cite Score:3613
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DOI: https://doi.org/85
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हिन्दी साहित्य में पर्यावरणीय संचेतना
डॉ. सपना
दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
प्रस्तावना- ‘पर्यावरण’ शब्द का
निर्माण दो शब्दों से मिलकर हुआ है। 'परि' और 'आवरण' अर्थात हमें चारों ओर से घेरे
हुए आवरण। पर्यावरण शब्द की उत्पत्ति संस्कृति के शब्द 'परि' उपसर्ग और 'आवरण' से
प्रत्यय से मिलकर हुई है। जिसका अर्थ है ऐसी चीजों का समुच्चय जो
किसी मनुष्य या जीवधारी को चारों ओर से आवृत्त किए हुए है । भूगोल एंव
परिस्थितिकी में यह शब्द अंग्रेजी के environment के पर्याय के रूप में प्रयोग
किया जाता है । संचेतना शब्द चेतना शब्द से ही बना है परंतु यह विशेष चेतना अर्थात
जागरूकता, सजगता के अर्थ में प्रयुक्त होता है।
हिन्दी साहित्य में सामान्यत: प्रकृति और
पर्यावरण को एक ही समझ कर बात की जाती है। परंतु यहाँ समझने वाली बात यह है कि
प्रकृति और पर्यावरण एक ही शब्द नहीं हैं । प्रकृति एक बहुत ही व्यापक अवधारणा है
जबकि “पर्यावरण” व्यक्ति विशेष के संदर्भ में उन सभी भौतिक, रासायनिक, एवं जैविक
कारकों की समष्टिगत इकाई है, जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित
करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को निर्धारित करते हैं ।
हिन्दी साहित्य में सामान्यत: प्रकृति और
पर्यावरण को एक ही समझ कर बात की जाती है। परंतु यहाँ समझने वाली बात यह है कि
प्रकृति और पर्यावरण एक ही शब्द नहीं हैं । प्रकृति एक बहुत ही व्यापक अवधारणा है
जबकि “पर्यावरण” व्यक्ति विशेष के संदर्भ में उन सभी भौतिक, रासायनिक, एवं जैविक
कारकों की समष्टिगत इकाई है, जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित
करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को निर्धारित करते हैं ।
पर्यावरण मूलतः प्रत्येक जीव के साथ जुड़ा हुआ है । हमारे चारों तरफ
सदैव व्याप्त रहता है । पर्यावरण में जैविक और अजैविक दो प्रकार के संघटक माने
जाते हैं । जैविक संघटको में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े- मकोड़े, सभी जीव-जंतु
और पेड़- पौधे आ जाते हैं और साथ ही उनसे जुड़ी सारी जैविक क्रियाएं और प्रक्रियाएं
भी । अजैविक संघटकों में चट्टानें, पर्वत, नदी, हवा और जलवायु के तत्वों के साथ और
कई तत्व समाहित हैं ।