• January to March 2024 Article ID: NSS8537 Impact Factor:7.60 Cite Score:4884 Download: 97 DOI: https://doi.org/89 View PDf

    समाज में व्यक्ति का असामान्य व्यवहार

      श्रीमती कविता आर्य रामाणी
        पूनमचंद गुप्ता वोकेशनल महाविद्यालय, खंडवा (म.प्र.)
  • प्रस्तावना- असामान्य का अर्थ है, भिन्न । जब हमें अपने आस-पास कुछ अलग सा घटित होता दिखाई देता है, तब उसे हम असामान्य कह सकते है। यह प्राकृतिक एवं मानव रचित हो सकता है । यह व्यवहार भी हो सकता है, वस्तु भी हो सकती है या परिदृश्य भी। वैसे तो सभी मनुष्यों के व्यवहार में कुछ न कुछ विशेषता और भिन्नता होती है जो एक व्यक्ति को दूसरे से भिन्न बतलाती है, फिर भी जब तक वह विशेषता अति अद्भुत न हो, कोई उससे उद्विग्न नहीं होता, उसकी ओर किसी का विशेष ध्यान नहीं जाता। पर जब किसी व्यक्ति का व्यवहार, ज्ञान, भावना, या क्रिया दूसरे व्यक्तियों से विशेष मात्रा और विशेष प्रकार से भिन्न हो और इतना भिन्न होकि दूसरे लोगों को विचित्र लगे,तब उस क्रिया या व्यवहार को असामान्य या असाधारण कहते हैं। आधुनिक समय में असामान्य व्यवहार पहचान पाना कठिन है और उसे  परिभाषित करना कठिन हो सकता है, लेकिन जब ऐसा होता है तो इसे नोटिस करना अक्सर आसान होता है। असामान्य व्यवहार उन कार्यों के लिए एक मनोवैज्ञानिक शब्द है जो किसी विशेष समाज या संस्कृति में मानक माने जाने वाले दायरे से बाहर होते हैं। यह असामान्य व्यवहार परिभाषा कई उद्देश्यों के लिए कार्यात्मक और उपयोगी है। हालाँकि, असामान्य व्यवहार की अधिकांश परिभाषाएँ इस बात को भी ध्यान में रखती हैं कि मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से, मानसिक बीमारी, दर्द और तनाव अक्सर व्यवहार पैटर्न में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। ऐसे मनोरोग जिनमें अनेक प्रकार की मनोविकृतियाँ उनके लक्षणों के रूप में पाई जाती है। इनके होने से व्यक्ति के आचार और व्यवहार में कुछ विचित्रता आ जाती है, पर वह सर्वथा निकम्मा और अयोग्य नहीं हो जाता। इनको साधारण मनोरोग कह सकते हैं। ऐसे किसी रोग में मन में कोई विचार बहुत दृढ़ता के साथ बैठ जाता है और हटाए नहीं हटता। यदा-कदा और अनिवार्य रूप से वह रोगी के मन में आता रहता है। किसी में किसी असामान्य विचित्र और अकारण विशेष भय यदा-कदा और अनिवार्य रूप से अनुभव होता रहता है। जिन वस्तुओं से साधारण मनुष्य नहीं डरते, मानसिक रोगी उनसे भयभीत होता है। कुछ लोग किसी विशेष प्रकार की क्रिया को करने के लिए, जिसकी उनको किसी प्रकार की आवश्यकता नहीं, अपने अंदर से इतने अधिक प्रेरित और बाध्य हो जाते हैं कि उन्हें किए बिना उनको सुकून नहीं आ़ता।

    असामान्य व्यवहार की परिभाषा व्यक्तिपरक हो सकती है और सांस्कृतिक प्रभावों पर काफी हद तक निर्भर हो सकती है। कुछ ऐसा जो एक संस्कृति में असामान्य व्यवहार है, वह दूसरों में असामान्य नहीं हो सकता है। समाज भी सदैव परिवर्तनशील है। एक प्रकार का व्यवहार सैकड़ों वर्ष पहले पूर्णतः स्वीकाय रहा होगा जो आज स्वीकाय नहीं है।

    शब्द कुंजी-असामान्य व्यवहार, मनोविज्ञान, मानसिक रोग, विकृति, सांवेगिक अस्थिरता, न्यूरोट्रांसमीटर हार्मोन, अल्जाइमर,एंग्जायटी, डिमेंशिया, डायथेसिसमॉडल, सामाजिक-सांस्कृतिक तनाव।