• January to March 2024 Article ID: NSS8539 Impact Factor:7.60 Cite Score:6360 Download: 111 DOI: https://doi.org/91 View PDf

    शोषण का शिकार नारी

      डाॅ. वंदना अग्निहोत्री
        प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष (हिन्दी) माता जीजाबाई शासकीय स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय, इन्दौर (म.प्र.)
      हिना
        शोधार्थी, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर (म.प्र.)
  • प्रस्तावना- आधुनिक युग में समाज सुधारकों का ध्यान मुख्यतः नारी की दयनीय स्थिति पर केन्द्रित रहा तथा उसी को केन्द्र में रखकर समाज-सुधार का कार्य चलता रहा। यही स्थिति उपन्यासकारों को भी रही। युगों में पीड़ित नारी के विभिन्न पहलूओं को उन्होंने अपने उपन्यासों का विषय बनाया तथा युगानुसार उसकी नई प्रतिष्ठि की। नारी की समस्याओं का विवेचन करके उनका समाधान प्रस्तुत किया। यह सोचने वाला प्रश्न है कि इन समाज सुधारकों तथा विशेषतः सामाजिक उपन्यासकारों के सम्मुख केवल नारी ही ज्वलंत प्रश्न के रूप में क्यों आयी?

    भारतीय समाज चाहे वह हिन्दू हो या मुस्लिम दोनों ही नारी की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। सत्य तो यह है कि युगों से भारतीय समाज की गति अवरूद्ध हो गई थी और जड़ता की इस सीमा तक उसकी उद्योगति हो चुकी थी कि पीड़ित तथा दलित वर्गों के प्रति अमानुशिक, अमानवीय व्यवहार के विरूद्ध विद्रोहाग्नि उठने की बात दूर रही वरना इन सबको भी धर्म की स्वीकृति दे दी गई। अन्ततः इस विक्रति का परिणाम यहाँ तक तक हुआ जहाँ तक हिन्दू-समाज में पुरूष वर्ग को अनेक विवाह करने की छूट मिली। साथ-साथ नारी के पतिव्रत धर्म की परीक्षा के लिए सती प्रथा की शुरूआत हुई।