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January to March 2024 Article ID: NSS8543 Impact Factor:7.60 Cite Score:8276 Download: 127 DOI: https://doi.org/ View PDf
योग और ध्यान के वैज्ञानिक पहलू
प्रियंका गुप्ता
विभागाध्यक्षा (योग विभाग) पंजाब सिन्ध क्षेत्र साधू महाविद्यालय, ऋषिकेश (उत्तराखंड)हिमांशु मुछाल
एम0ए0 योगाचार्य (छात्र) (योग विभाग) पंजाब सिन्ध क्षेत्र साधू महाविद्यालय, ऋषिकेश (उत्तराखंड)सुजीत भट्ट
सहायक प्राध्यापक (योग विभाग) पंजाब सिन्ध क्षेत्र साधू महाविद्यालय, ऋषिकेश (उत्तराखंड)
प्रस्तावना- आज भूमन्डलीकरण के युग
में अतिमशीनीकरण एवं प्रतिस्पर्धात्मकता होने से जीवन में अत्यधिक तनाव भरा रहता है।
इसके अतिरिक्त समाज में हो रहे नित्य बदलाव-आधुनिकीकरण, नगरीकरण, भौतिकवाद और प्रतिस्पर्धा
इत्यादि से हर आयु वर्ग को तनाव ग्रस्त बना दिया है। आजकल समाज का हर वर्ग चिंता एवं
तनाव का सामना कर रहा है। प्रत्येक व्यक्ति का अनुभव है कि व्यक्ति कि आवश्यकताएं पूरी
नहीं होने की स्थिति उनकी पूर्ति में बाधाएं समय-समय पर उत्पन्न होती रहती है। इस कारण
तनाव होता है। वर्तमान समय में व्यक्ति को कई परिस्थितियों एवं समस्याओं का सामना करना
पड़ता है तब आवश्यकता की पूर्ति होती है। प्रतिकुल परिस्थितियां तनाव उत्पन्न करती है
आज की व्यस्त जीवनचर्या एवं भागदौड़ की जीवन शैली में प्रत्येक व्यक्ति तनाव का शिकार
है। इसे बीसवी शताब्दी में बीमारी के रूप में स्वीकार किया गया है। आज प्रत्येक वर्ग
नौकरी-पेशा, अमीर गरीब, स्त्री-पुरुष बालक युवा एवं वृद्ध सभी तनावग्रस्त है। तनाव
ग्रस्तता के कई कारण है। इनसे अनेक समस्याओं का जन्म होता है जैसे:- रोजगार की समस्या,
भ्रष्टाचार की समस्या, प्रतिस्पर्धा, संघर्ष, युद्ध का भय एवं प्राकृतिक आपदा तथा तेज
रफ्तार भरी जिन्दगी की ओर बढ़ते हुए कदम, भौतिक जीवन शैली में कई वैज्ञानिक एवं तकनीकी
विकास ने व्यक्ति के जीवन स्तर को बढ़ाया है, परन्तु इन्हें प्राप्त करने में व्यक्ति
को संघर्ष करना होता है। इसमे व्यक्ति कि शारीरिक व मानसिक ऊर्जा का व्यय अधिक होता
है।