• January to March 2024 Article ID: NSS8547 Impact Factor:7.60 Cite Score:7777 Download: 123 DOI: https://doi.org/ View PDf

    भारत-चीन के मध्य आर्थिक संबंधों का विश्लेषणात्मक अध्ययन

      डाॅ. शकुन शुक्ला
        सेवानिवत्त प्राध्यापक (राजनीति विज्ञान) शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई कन्या स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, भोपाल (म.प्र.)
      कामना देवी साहू
        शोधार्थी (राजनीति विज्ञान) बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल (म.प्र.)
  • प्रस्तावना- भारत और चीन दोनों ही विश्व के सबसे बड़ी जनसंख्या वाले पड़ोसी देश हैं। भारत ने लंबे समय के संघर्ष के बाद 1947 में ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता प्रापत की तथा चीन ने 1949 की साम्यवादी शासन की स्थापना की भारत ने चीन की साम्यवादी क्रांति का स्वागत किया तथा संयुक्त राष्ट्र संघ में राष्ट्रवादी चीन के स्थान पर साम्यवादी चीन की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का समर्थन किया। 1954 में चीन के प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई भारत आए तथा दोनों देशों ने आपसी संबंधों को निर्देशित करने वाले पंचशील समझौते पर हस्ताक्षर किए। पंचशील समझौते में एक-दूसरे की सम्प्रभुता और अखण्डता का सम्मान शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व, पारस्परिक लाभ तथा सहयोग जैसे बिन्दु शामिल किये गये। इसी यात्रा के दौरान चीन, हिन्दी भाई-भाई का नारा दिया गया लेकिन चीन की विस्तारवादी नीति के चलते पंचशील की भावना अधिक समय तक नहीं टिक सकी। तिब्बत के प्रश्न पर दोनों देशों के मध्य 1959 में तनाव उत्पन्न हो गया। चीन के लिए आपत्ति का मुख्य विषय यह था कि वह तिब्बत को चीन का अभिन्न अंग मानता है, जबकि लामा की सरकार को भारत में टिकने की इजाजत दी। इस तनाव का परिणाम यह हुआ कि 1962 में चीन ने भारत पर सैनिक आक्रमण कर दिया जिसमें भारत की पराजय हुई तथा चीन ने लद्दाख क्षेत्र में अक्साई चीन पर अपना कब्जा स्थापित कर लिया। दूसरी तरफ चीन अरुणाचल प्रदेश में अपना प्रस्तुत कर रहा है। तब से लेकर वर्ताओं के बावजूद आज तक दोनों देशों के मध्य सीमा विवाद मौजूद है, इस युद्ध के उपरांत जहां चीन और पाकिस्तान के बीच सैनिक व सामरिक गठबंधन का विकास हुआ। वहीं भारत अपनी सुरक्षा के लिए चीन के प्रति आशंकित बना रहा। 1962 में समाप्त हुए कूटनीतिक संबंधों की पुनःस्थापना 1976 में हुई। तब से लेकर अब दोनों देशों के मध्य सम्बन्धों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया चल रही है। भारत और चीन दोनों ने वैश्वीकरण के युग में आर्थिक उदारीकरण की नीति को अपना कर तीव्र आर्थिक विकास किया है। दोनों के मध्य आर्थिक सम्बन्ध गत दो दशकों में मजबूत हुए हैं, लेकिन सीमा विवाद का अभी तक कोई समाधान नहीं खोजा जा सका है, इसके अतिरिक्त वर्तमान में चीन और पाकिस्तान का सैनिक गठजोड़ तथा चीन द्वारा दक्षिण एशिया में भारत को घेरने की नीति भी भारत के लिए चिंता का विषय है कि चीन के सहयोग से ही पाकिस्तान अपने परमाणु तथा मिसाइल कार्यक्रम को आगे बढ़ा सका है। 2009 में चीन ने जम्मू-कश्मीर को स्थिति को भी विवादित बनाने का प्रयास किया है, अतः दोनों के मध्य तनावपूर्ण स्थिति में आर्थिक संबंधों का विकास हो रहा है।