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January to March 2024 Article ID: NSS8560 Impact Factor:7.60 Cite Score:13515 Download: 163 DOI: https://doi.org/ View PDf
भरतपुर परिक्षेत्र की संस्कृति एवं पर्यटन
डाॅ. निमेश कुमार चैबीसा
सहायक आचार्य, एस.बी.पी. राजकीय महाविद्यालय, डूंगरपुर (राज.)रोहित सिंह
शोधार्थी (इतिहास) गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय, बांसवाडा (राज.)
प्रस्तावना- महामहिम पंडित राहुल सांस्कृत्यायन
के अनुसार मानव एक जंगम प्राणी है। अपने अविर्भाव के प्रारम्भ से ही उसकी प्रकृति घुमक्कड़ी
रहती है। उसकी यही प्रवृत्ति वर्तमान परिदृश्य में पर्यटन शब्द से संबोधित की जाती
है। आज पर्यटन का प्रयोग न केवल मनोरंजन के लिए अपितु विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था
को आधार प्रदान करने वाले तत्व के रूप में किया जाता हैं। वर्तमान में पर्यटन का महत्व
कई स्वरूपो में दृष्टिगत होता है। प्राकृतिक सौन्दर्य के दर्शन के साथ-साथ मानवीय कला
कौशल के अद्वितीय स्वरूपों का परिचय प्रदान करने में पर्यटन सहायक है।
भारत के पर्यटन मानचित्र पर राजस्थान का अपना महत्व है।
प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में पर्यटक राजस्थान में पर्यटन के उद्देश्य से आवागमन
करते हैं। अपनी प्रारम्भिक स्थिति से वर्तमान स्वरूप प्राप्त करने की यात्रा से राजस्थान
को सात संभागों में विभाजित किय गया है। राज्य का प्रत्येक संभाग पर्यटन की दृष्टि
से अद्वितीय स्थान रखता है। उक्त संभागों में उदयपुर, अजमेर, जयपुर, कोटा, जोधपुर,
बीकानेर और भरतपुर की मुख्य भूमिका है। राज्य का भरतपुर परिक्षेत्र पर्यटन की दृष्टि
से अत्यन्त धनी प्रदेश है।