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April to June 2024 Article ID: NSS8592 Impact Factor:8.05 Cite Score:6913 Download: 116 DOI: https://doi.org/ View PDf
शिक्षा में मनोविज्ञान की आधारभूत भूमिका
श्रीमती कविता रामाणी
पूनमचंद गुप्ता वोकेशनल महाविद्यालय, खंडवा (म.प्र.)श्रीमती संध्या पाटिल
पूनमचंद गुप्ता वोकेशनल महाविद्यालय, खंडवा (म.प्र.)
प्रस्तावना- शिक्षा मनुष्य के विकास की
पूर्णता की अभिव्यक्ति है। शिक्षा के द्वारा ही मनुष्य अपनी इच्छा शक्ति की धारा पर नियंत्रण कर सकता है, शिक्षा
को शब्द संग्रह अथवा शब्द समूह की स्मृति में न देखकर विभिन्न शक्तियों के विकास के रूप में देखा जाना चाहिए। शिक्षा
स्वयं को पहचानने की,
अपनी शक्तियों की पहचान की क्षमता का विकास करती है। शिक्षा एक साधन है जो
व्यक्ति के आंतरिक गुणों को प्रखर करती है, उसमें जो
आतंरिक शक्तियों है उनका विकास करती है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि बालक
के नैतिक, शारीरिक, संवेगात्मक, बौद्धिक एवं
आंतरिक ज्ञान को बाहर लाने वाली एक क्रिया है | शिक्षा के
द्वारा बालक का सर्वांगीण विकास होता है, शिक्षा की प्रक्रिया जीवन पर्यंत चलती है, कभी
रुकती नहीं है।
शब्द कुंजी- शिक्षा,
मनोविज्ञान, अधिगम,
क्षमता,
करके सीखना,
आंतरिक शक्तियां,
पाठ्यचर्या, विकास,
सर्वांगीण विकास,
शिक्षक,
विद्यार्थी,
पाठ्यक्रम,
सीखना और सिखाना ।