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April to June 2024 Article ID: NSS8597 Impact Factor:8.05 Cite Score:5552 Download: 104 DOI: https://doi.org/ View PDf
विकसित भारत के निर्माण में भारतीय भाषाओं की भूमिका ( यथार्थ से आदर्श की ओर)
डॉ. राजेंद्र सिंह
प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, तुलनात्मक भाषा एवं संस्कृति अअध्ययनशाला, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर (म.प्र.)गौरव गौतम
शोधार्थी, तुलनात्मक भाषा एवं संस्कृति अअध्ययनशाला, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर (म.प्र.)
शोध सारांश- मानव के भाव व विचारों की संवाहिका भाषा है जो मानव के
चित्त, चिंतन और चरित्र को परिभाषित करती है। किसी देश के शासन और रहवासी की भाषा यदि
समान होगी तो वहाँ विकास व समान वितरण की संभावना ज्यादा होती है जिससे सामाजिक और
आर्थिक असमानता में कमी आती है जो किसी देश के विकसित होने की प्राथमिक दशा है। भारत
जैसे बहुभाषी देश में विकास के अग्रगामी राह में भाषा का क्या योगदान हो सकता है यही
इस शोध आलेख का उद्देश्य है।
शब्द कुंजी- होमो सेपियन,रोबोटिक्स,सिलिकॉन
युग,अर्थव्यवस्था, चतुर्थ औद्योगिक क्रांति, राजभाषा अधिनियम, समावेशी विकास आदि।