• April to June 2024 Article ID: NSS8598 Impact Factor:8.05 Cite Score:11811 Download: 152 DOI: https://doi.org/ View PDf

    भारत में इंटरनेट शटडाउन का मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के रूप में विश्लेषात्मक अध्ययन

      विजय लक्ष्मी जोशी
        सहायक प्राध्यापक, शासकीय विधि महाविद्यालय, शाजापुर (म.प्र.)
  • शोध सारांश-  भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं, और किसी भी लोकतंत्र मेें अभिव्यक्ति की आजादी लोकतंत्र को तानाशाही बनने से रोकने के लिए अत्यंत आवश्यक होती है। यह निष्पक्ष एवं पारदर्शी लोकतंत्र का आधार स्तंभ है। प्रसिध्द पाश्चात्य कवि जाॅन मिल्टन ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व को बताते हुए कहा है कि-

    “Give me the liberty to know, to argue freely, and to utter according to conscience, above all liberties.”- John Milton

    पिछले कुछ सालों से भारत में लाॅ एवं आॅर्डर बनाए रखने, धरना प्रदर्शन रोकने एवं सांप्रदायिक हिंसा को रोेकने एवं परीक्षा में नकल को रोकने एवं अन्य कारणों से सरकार द्वारा इंटरनेट शटडाउन किया जा रहा है। दुनिया में हुए इंटरनेट शटडाउन में भारत गत पाँच वर्षों से लगातार शीर्ष पर बना हुआ है, यहि कारण हैं कि भारत को विश्व की ‘‘इंटरनेट शटडाउन की राजधानी’’ कहा जाता हैं। 2016 से 2022 तक पूरे विश्व में इंटरनेट शटडाउन के कुल मामलों में 60 प्रतिशत केवल भारत के थे। इंटरनेट शटडाउन के पीछे सरकार द्वारा यह तर्क दिया जाता है कि सांप्रदायिक हिंसा को रोकने, विधि व्यवस्था बनाए रखने, नागरिक अशांति एवं विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए ऐसा किया जाना जरूरी है वही दूसरी तरफ इंटरनेट शटडाउन को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भी माना जाता है। इंटरनेट शटडाउन के विरूध्द याचिकाओं की सुनवाई करते हुए न्यायपालिका द्वारा इंटरनेट के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(क) के तहत वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा बताया गया था, वही एक अन्य मामलें में इंटरनेट शटडाउन को अनुच्छेद 21 के अधीन शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन बताया गया तथा न्यायालय द्वारा यही भी कहा गया कि सरकार द्वारा इंटरनेट बंदी के औचित्य को स्पष्ट किया जाना जरूरी है। प्रस्तुत शोध पत्र में इंटरनेट शटडाउन को परिभाषित कर उसके प्रकार, प्रभाव, संबंधित विधि एवं इंटरनेट शटडाउन के पक्ष एवं विपक्ष में दिए जाने वाले तर्कों का संक्षिप्त वर्णन किया गया हैं तथा सरकार द्वारा इंटरनेट शटडाउन नागरिकों के मूल अधिकारों का कहाॅ तक उल्लंघन करता हैं इस पर प्रकाश डाला गया है।

    शब्द कुंजी- इंटरनेट शटडाउन, इंटरनेट का मौलिक अधिकार।