• April to June 2024 Article ID: NSS8609 Impact Factor:8.05 Cite Score:6575 Download: 113 DOI: https://doi.org/ View PDf

    पर्यावरण संरक्षण की चुनौतियाः गाँधीय विकल्प

      गोपाल सिंह
        असिस्टेंट प्रोफेसर (राजनीति विज्ञान) शेखावाटी महाविद्यालय लोसल, (सीकर) (राज.)
  • शोध सारांश- पर्यावरण समस्त जीवन का आधार है जिस तरह एक स्वस्थ तन में स्वस्थ मन का निवास होता है। ठीक उसी तरह स्वच्छ पर्यावरण में स्वस्थ जीवन का निवास होता है। किन्तु मानव आज अपने जीवनदायिनी पर्यावरण को अप्राकृतिक गतिविधियों से असन्तुलित कर रहा हैं। सभ्यता के शैशव काल से मानव जाति पर्यावरण से अपनी समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति करती आ रही है। लेकिन विगत कुछ दशकों में मनुष्य की स्वाभाविक स्वार्थी प्रकृति के कारण पर्यावरण का निरन्तर हृास हुआ है। वर्तमान आधुनिकता की दौड़ एवं अधिक उपभोग की प्रवृति ने मानव को मशीनीकरण की ओर उन्मुख कर दिया है। जिसकी प्राप्ति हेतु पर्यावरण के हर पहलू को नुकसान पहुँचाया जाता हैं। IUCN अन्तर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ) के ताजा आकड़ों के अनुसार 5583 जीवों की प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर है। जो प्रकृति की जैव विविधता के लिए खुली चुनौति है यह सम्पूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए चिन्ता का विषय है। यदि समय रहते वैश्विक स्तर पर आम लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरुकता एवं कर्तव्य निष्ठा की भावना उत्पन्न नहीं की जाती है तो मानव सहित समस्त प्राणियांे का जीवन संकट में हैं। ऐसी विकट परिस्थितियों में गाँधीजी के विचार प्रासंगिक हैं उनके अनुसार भारतीय संस्कृति में प्राचीन समय से ही पर्यावरण संरक्षण की समुचित व्यवस्था है। जिसका आधार सदियो से चली आ रही वृक्ष पूजा है। गाँधी जी जहाँ एक तरफ आस - पास के वातावरण को स्वच्छ रखने पर बल देते थे वहीं दूसरी तरफ अहिंसा के अन्तर्गत समस्त प्राणियों की रक्षा पर जोर देते थे। उन्होनंे उत्पादन की ऐसी पद्धति को वाछंनीय माना है जो प्रकृति को दोहन व शोषण सेे मुक्त रखकर मनुष्य की भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम हो। गाँधीजी के अनुसार ’’प्रकृति में मानव जीवन की आवश्यकता के लिए सब कुछ हैं, किन्तु लालच के लिए नहीं’’। पर्यावरण की रक्षा एवं मानव विकास एक साथ कैसे हो , इस पर विश्वव्यापी बहस छिड़ी हुई है। गाँधीजी की विचारधारा ये बताती है कि पर्यावरण की शुद्धता व सरंक्षण प्रत्येक बुद्धिजीवी का नैतिक दायित्व होना चाहिए। गाँधी जी के आदर्शो से प्रेरित होकर भारत सरकार द्वारा शुरु किया गया स्वच्छ भारत मिशन कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण हेतु एक अनुठी मिशाल हैं।

    शब्द कुंजी-पर्यावरण, संरक्षण, सभ्यता, आधुनिकता, मशीनीकरण, गाँधीजी, संस्कृति, अहिंसा, शोषण, श्रम, बुद्विजीवी, एवं संवेदना।