• April to June 2024 Article ID: NSS8616 Impact Factor:8.05 Cite Score:3732 Download: 85 DOI: https://doi.org/ View PDf

    संस्कृत साहित्य में गद्य का उद्भव विकास, गद्यकार व रचनाएं

      मुकेश दायमा
        सहायक आचार्य (संस्कृत) राजकीय महाविद्यालय गढ़ी,परतापुर. जिला बाँसवाड़ा (राज.)
  • प्रस्तावना- प्राचीन काल से ही हमारे राष्ट्रीय जन-जीवन पर जिसका प्रभूतमात्रा में प्रभाव पड़ा तथा सम्पूर्ण भारतीय साहित्य एवं संस्कृति जिससे पूर्णतया अनुप्राणित है, वह संस्कत-भाषा ही इस महान् देश की अनुपम एवं अमूल्य निधि है। संस्कृत विश्व की सभी भाषाआंे में प्राचीनतम् व सर्वोत्कृष्ट भाषा है, यह भाषाओं की जननी तथा देवभाषा के रुप में जानी जाती है। यह संस्कृत नाम इस बात को स्पष्ट करता है कि यह भाषा परिष्कृत व संशोधित है। ‘देवभाषा’ अभिधान से विभूषित होकर यह समय की विशाल एवं परिवर्तित गतियों में भी सांस्कृतिक समस्त तत्वों को सुरक्षित स्वरुप में समाहित किए हैं। अतः संस्कृत साहित्य का अध्ययन किये बिना भारतीय संस्कृति का पूर्णज्ञान कभी सम्भव नही है, इसलियें भारतीय संस्कृति व जीवन भाषायी मूल्यों के ज्ञान के लिए संस्कृत साहित्य का ज्ञान अत्यन्त आवश्यक है।भारत की आदि जातियों में शीर्षस्थ आर्य जाति का प्राचीनतम एवं पावन स्मारक सम्पूर्ण वैदिक-साहित्य संस्कृत भाषा का ही वह अनुपम एवं पुरातन स्वरूप है, जिसें दीर्घकालीन विषम परिस्थितियाँ एवं आक्रान्ताओं की बर्बर-विनाशक शक्तियाँ भी विनष्ट नहीं कर सकीं। यही नही इस साहित्य से भारतीय ज्ञान-विज्ञान की नाना शाखा-प्रशाखायें प्रस्फुटित हुई तथा इसी के कारण भारत ने विश्व में विशेष सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त किया हैं।