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January to March 2024 Article ID: NSS8630 Impact Factor:7.67 Cite Score:2034 Download: 62 DOI: https://doi.org/ View PDf
भारतीय समाज और बैल
चंद्राक साहू
एम ए, नेट (इतिहास) जी, 465-66 आजाद नगर, भीलवाड़ा (राज.)
प्रस्तावना- आदिमकाल से पशुओं का हमारे
समाज में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मनुष्य प्रारंभ में अपने जीवन का निर्वाह प्राकृतिक
वस्तुओं का संग्रहण करके एवं पशुओं का शिकार करके करता था। भारतीय इतिहास के संदर्भ में सर्वप्रथम पशुपालन
के साक्ष्य मध्यपाषाण काल से मिलते हैं। नव
पाषाण काल में मनुष्य नदियों के किनारे बसने लगा और कृषि कार्य करने लगा तथा यायावर
जीवन का त्यागकर स्थाई बस्तियों का निर्माण कर रहने लगा। हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रन्थों में भी पशुओं का
विस्तार से वर्णन मिलता है। पशुओं के बिना
देवताओं, असुरों, मानवों और ऋषियो की कल्पना अधूरी है। पुराणों के अनुसार सभी जानवरों के पिता ब्रह्मा
के पुत्र कश्यप थे। कश्यप के अनेक पत्नियां थीं जो विभिन्न प्रकार के पशुओं की माताऐ
थी। भारतीय संस्कृति में पशुओं को काफी महत्व
दिया गया है इनको किसी ने किसी देवता से जोड़ा गया है। मसलन बैल को शिव से, घोड़े को सूर्य से भैंसे को
यमराज से तथा और अभी अनेक देवताओं को पशु पक्षियों से जोड़ा गया है। इन पशुओं का ईश्वर के साथ समीकरण करने से समाज में
इनको समान की दृष्टि से देखा जाने लगा और उनकी पूजा की जाने लगी।