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April to June 2024 Article ID: NSS8640 Impact Factor:8.05 Cite Score:17366 Download: 185 DOI: https://doi.org/ View PDf
मेवाड़ के आवासीय दुर्ग का स्थापत्य और क्रमिक विकास
खुशबू गायरी
छात्रा (इतिहास विभाग) मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर (राज.)
शोध सारांश- राजस्थान का गौरव ऐतिहासिक चित्तौड़गढ़ का दुर्ग जो कि मौरी जाति के शासक चित्रांग मौर्य द्वारा सर्वप्रथम इसकी नीव रखी गई ।जो अपने सामरिक महत्व के कारण समय पर विभिन्न शासकों के अधीन रहने के बाद भी अडिग रहा है।उक्त लेख में इस दुर्ग के क्रमिक विकास व स्थापत्य पर प्रकाश डाला गया है।स्थापत्य की दृष्टि से ऐसा दुर्ग है जहां पर पानी की कमी अकाल पड़ने पर भी नहीं होती है तथा किले के अंदर ही खेती की जा सकने के कारण खाद्यान्न का अभाव विकट युद्ध के समय भी संभव नहीं था। अतः इस दुर्ग में लंबे समय तक युद्ध में गिरे रहने पर भी अपने खाद्यान्न व जल की आपूर्ति दुर्ग के अंदर से ही की जा सकती थी।इसी सामरिक महत्व के कारण यह दुर्ग अनेक बार शत्रुओं के युद्ध का शिकार हुआ व अपने वीर पुत्रो व वीरांगनाओं के प्राणों की आहुति दी है, जिनकी वीरता, पराक्रम,साहस व शौर्य की कहानी आज भी यहां पर बने स्मारक बता रहे है।
शब्द कुंजी- महत्व, स्थापत्य, विकास।