• January to March 2024 Article ID: NSS8642 Impact Factor:7.67 Cite Score:1271 Download: 49 DOI: https://doi.org/ View PDf

    मेवाड़ के वीर पिता का वीर पुत्र महाराणा अमर सिंह प्रथम

      खुशबु झाला
        छात्रा (इतिहास विभाग) मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर (राज.)
  • शोध सारांश-  उक्त लेख में राजस्थान के मेवाड़ अंचल के बैकुंठ महाराणा अमर सिंह प्रथम के जीवन की क्रमिक घटनाओं को प्रकाश में लाने का प्रयास किया गया है। महाराणा अमर सिंह, महाराणा प्रताप के सबसे बड़े पुत्र एवं मेवाड़ राज्य के उत्तराधिकारी थे। उन्होंने 19 जनवरी 1597 से 26 जनवरी 1620 तक मेवाड़ राज्य पर शासन किया। अपने राज्याभिषेक से पूर्व एवं पश्चात उन्होंने मुगलों के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ी और अंत में परिस्थितियों से विवश होकर, निरंतर मुगल आक्रमणों द्वारा प्रजा व सरदारों की दयनीय स्थिति देख व मेवाड़ की कमजोर आर्थिक स्थिति, संसाधनों की कमी आदि ध्यान में रख प्रजा हित को स्वाभिमान से ऊपर रख 1615 में मुगल सम्राट जहांगीर से संधि की जिसे मेवाड़ मुगल संधि कहा जाता है। इस संधि के पश्चात शताब्दी से चले आ रहे हैं दीर्घकालिक संघर्ष का अंत हुआ। परंतु इस संधि के बाद महाराणा अमर सिंह का जीवन आत्मग्लानि में डूब गया तथा उन्होंने राजकार्य अपने ज्येष्ठ पुत्र कुंवर कर्ण सिंह को सौंप कर अपना जीवन एकलिंग नाथ की आराधना करते हुए एकांतवास में व्यतीत किया।

    शब्द कुंजी- प्रकाश, आक्रमण, संधि, हित, स्वाभिमान।