• April to June 2024 Article ID: NSS8644 Impact Factor:8.05 Cite Score:2592 Download: 70 DOI: https://doi.org/ View PDf

    भारतीय कानूनो के परिपेक्ष्य मे समलैंगिक विवाह का एक विश्लेणात्मक अध्ययन

      प्रो. विनोद तिवारी
        सहायक प्राध्यापक, एम बी खालसा लाॅ कालेज, इन्दौर (म.प्र.)
      डाॅ. फेमिनाज अख्तर खान
        सहायक प्राध्यापक, एम बी खालसा लाॅ कालेज, इन्दौर (म.प्र.)
  • शोध सारांश-  समाज चाहे समकालिन हो या पूर्व कालिक दोनो प्रकार के समाजो में विवाह को हमेशा एक पवित्र संस्था के रूप में देखा गया है। जिसका हर व्यक्ति अपने जीवनकाल में हिस्सा बनने की इच्छा रखता है. विवाह विशेष रूप से भारत में एक पवित्र अनुष्ठान के रूप में देखा जाता है जिसे दो व्यक्तियों के बीच सबसे सुन्दर बंधन माना जाता है। विवाह को ‘‘पति या पत्नि होने की स्थिति के रूप मे वर्णित  किया गया है।  एक दूसरे से विवाहित दो व्यक्तिायों के बीच कानूनी संबंधों को मान्यता दी गई है।             

        आक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार विवाह एक पवित्र संस्था है जिसे केवल एक पुरूष ओर एक महिला के बीच मिलन के रूप मान्यता प्राप्त है। उनका तर्क है कि समलैगिंक संबंध पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों और विवाह संस्था का विस्तार करके उसे कमजोर कर देगे विवाह की परिभाषा में बच्चे पैदा करना और उनका पालन पोषण करना शामिल है।

                समय के साथ इस अवधारणा के विकास के रास्ते में आने वाली मुख्य बाधाएं धीरे-धीरे दूर हो गयी एक संस्था के रूप मे विवाह का विचार समय के साथ बदल गया वर्तमान समय में ‘‘सहवास शब्द का उपयोग अक्सर विवाह को संदर्भित करने के लिए किया जाता है जिसका अर्थ है कि सहवास का कार्य जब एक जोडे द्वारा अभ्यास किया जाता है तो दो व्यक्तियों कि बीच वैवाहिक स्थिति की बुनियादी वैधता को साबित करने के लिए साबित होना चाहिए।                         

    हालाकिं जब समानता का विचार लागू किया जाता है तो ऐसी समसमायिक धारणा इतना उत्साह पूर्ण पहलू होने के बावजूद स्थिर रहती है एलजीबीटीक्यूए का समुदाय समलैगिंक विवाह की वैधता के बारे मे संघर्ष कर रहा है ओर बहुत चिंचित है और अपनी पंसद के अनुसार किसी व्यक्ति से शादी करने के अपनी बुिनयादी मौलिक अधिकार के लिए लड रहा है और भारतीय कानून के तहत विवाह की वैधता हासिल करने का प्रयास कर रहा है। 


    शब्द कुंजी - समलैगिंकता,समलैगिक विवाह, वैधीकरण, एलजीबीटीक्यू आर्थात लेसबियन,गे,बाईसेक्सुअल ,ट्रांसजेंडर और क्वियर, अपराधिकरण, यौन व्यवहार।