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April to June 2024 Article ID: NSS8652 Impact Factor:8.05 Cite Score:37123 Download: 271 DOI: https://doi.org/ View PDf
शिवार्य कृत ‘भगवती आराधना’ में समाज व संस्कृति की झलक
रुचि जैन
शोधार्थी (दर्शनशास्त्र) श्री अटल बिहारी वाजपेई शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, इन्दौर (म.प्र.)डॉ. सत्यप्रकाश पाण्डेय
शोध-निर्देशक (दर्शनशास्त्र) श्री अटल बिहारी वाजपेई शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, इन्दौर (म.प्र.)डॉ. संगीता मेहता
सह शोध-निर्देशक (संस्कृत) श्री अटल बिहारी वाजपेई शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, इन्दौर (म.प्र.)
प्रस्तावना- आचार्य शिवार्य कृत भगवती
आराधना में प्रमुख रूप से जैन-धर्म की आचार मीमांसा के प्रमुख अंग समाधिमरण और चार
प्रकार की आराधनाओं का वर्णन किया है। शिवार्य के समक्ष जैन संघ के चारों अंग साधु,
साध्वी, श्रावक तथा श्राविका का समाज रहा है। उनके आत्म विकास के सम्बन्ध में भगवती
आराधनाकार ने उक्त ग्रन्थ में विस्तार से विभिन्न विषयों को प्रस्तुत किया है। प्रसंगवश
शिवार्य के समकालीन समाज और संस्कृति का चित्रण भी इस ग्रन्थ में उपलब्ध है।














