• April to June 2024 Article ID: NSS8653 Impact Factor:8.05 Cite Score:9617 Download: 137 DOI: https://doi.org/ View PDf

    हिन्दी साहित्यकार और स्त्री विमर्श

      डॉ. बबीता यादव
        सहायक प्राध्यापक, नवसंवत विधि महाविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.)
  • प्रस्तावना-  ‘‘स्त्री विमर्श’’ उस साहित्यिक आंदोलन को कहा जाता है, जिसमें स्त्री अस्मिता को केन्द्र में रखकर संगठित रूप में स्त्री साहित्य की रचना की गई हो। हिन्दी साहित्य में स्त्री विमर्श अन्य अस्मितामूलक विमर्शों की भांति ही मुख्य विमर्श रहा है जो कि, लिंग विमर्श पर आधारित है। स्त्री विमर्श को अंग्रेजी में फेमिनिज्म कहा गया है। आंदोलन के रूप में इसकी शुरुवात ब्रिटेन और अमेरिका में हुई। 18 वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के दौरान कई संघर्ष हुए उनमें एक संघर्ष स्त्री-पक्ष ने भी किया। उन्होंने धर्मशास्त्र और कानूनों के द्वारा खुद को पुरुषों के मुकाबले शारीरिक और बौद्धिक घरातल पर कमजोर मानने से इंकार कर दिया।