• April to June 2024 Article ID: NSS8660 Impact Factor:8.05 Cite Score:5477 Download: 103 DOI: https://doi.org/ View PDf

    चाय उत्पादन की मूलभूत जानकारी एवं तरीके (जशपुर जिले के विशेष संदर्भ में)

      डॉ. .एस.के.शर्मा
        प्राचार्य, पी.एन.एस.महाविद्यालय, बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
      गुलशन केरकेट्टा
        शोधार्थी (वाणिज्य) अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर(छत्तीसगढ़)
  • प्रस्तावना- भारत में चाय की खेती बहुत पुराने समय से की जा रही है द्य वर्ष 1835 में सर्वप्रथम अंग्रेजो ने असम के बागों में चाय लगाकर इसकी शुरुआत की थी द्य वर्तमान समय में भारत के कई राज्यों में चाय की खेती की जाती है। इससे पहले चाय की खेती केवल पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती थी, किन्तु अब यह पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर मैदानों क्षेत्रों तक पहुंच गई है। विश्व में भारत को चाय उत्पादन के मामले में दूसरा स्थान प्राप्त है। दुनिया की तक़रीबन 27 प्रतिशत चाय का उत्पादन भारत में ही किया जाता है। इसके साथ ही 11 प्रतिशत चाय उपभोग के साथ भारत सबसे बड़ा चाय का उपभोगकर्ता भी है। चाय को पेय पदार्थ के रूप में इस्तेमाल में लाया जाता है । यदि आप चाय का सेवन सीमित रूप में करते हैं, तो इसके कई फायदे भी प्राप्त होते है भारत में चाय सबसे ज्यादा पीया जाने वाला पेय पदार्थ है, तथा विश्व में भी पानी के बाद अगर किसी पेय पदार्थ का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है, तो वह चाय ही है द्य चाय में कैफीन भी अधिक मात्रा में पाई जाती है द्य चाय मुख्य रूप से काले रंग में पाई जाती है, जिसे पौधों और पत्तियों से तैयार किया जाता है । गर्म जलवायु में चाय के पौधे अच्छे से विकास करते है। चाय की खेती के लिए हल्की अम्लीय भूमि की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए उचित जल निकासी वाली जगह होनी चाहिए, क्योकि जलभराव वाली भूमि में इसके पौधे बहुत जल्द ख़राब हो जाते हैं, चाय की खेती ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है चाय की खेती में भूमिका p.H मान 5.4 से 6 के मध्य होना चाहिए।चाय की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु को उपयुक्त माना जाता है। इसके पौधों को गर्मी के साथ-साथ बारिश की भी आवश्यकता होती है । शुष्क और गर्म जलवायु में इसके पौधे अच्छे से वृद्धि करते है। इसके अलावा छायादार जगहों पर भी इसके पौधों को विकास करने में आसानी होती है। अचानक से होने वाला जलवायु परिवर्तन फसल के लिए हानिकारक होता है। इसके पौधों को आरम्भ में सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है, तथा पौधों को विकास करने के लिए 20 से30 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। चाय के पौधे न्यूनतम 15 डिग्री तथा अधिकतम 45 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते हैं।