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January to March 2024 Article ID: NSS8662 Impact Factor:7.67 Cite Score:2950 Download: 75 DOI: https://doi.org/ View PDf
उदयपुर की आहड़ नदी पर जल प्रदूषण और नगरीकरण का प्रभाव
सुरभि सिंघल
सहायक आचार्य (भूगोल) एस.आर.के.पी. राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय, किशनगढ़, अजमेर (राज.)डॉ.अविनाश अग्रवाल
सहायक आचार्य (प्राणी विज्ञान) एस.आर.के.पी. राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय, किशनगढ़, अजमेर (राज.)
प्रस्तावना-
प्राचीन
समय से ही मनुष्य का निवास नदी-घाटियों एवं जलाशयों किनारे रहा है जिसके उदाहरण के
रूप में इराक की दजला-फरात सभ्यता, सिंधुघाटी
सभ्यता, मेसोपोटामिया की सभ्यता, हड़प्पा-मोहनजोदड़ो आदि सभ्यताओं के रूप में देख सकते
हैं। जहाँ पर जल की कम उपलब्धता रही वहाँ तालाबों, जलाशयों, बाँधों का निर्माण किया गया। इसी प्रकार नगरीकरण एक
सतत् प्रक्रिया है जिसकी विचारधारा का जन्म औद्योगिक क्रान्ति के बाद में हुआ था।
नगरों के विकास एवं स्वरूप के निर्धारण में नगरों में निवासित जनसंख्या, भूमि
उपयोग, उत्पादन, औद्योगिकरण
आदि कारकों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। नगरों को व्यतिशील एवं व्यवस्थित करने
के लिए भौगोलिक परिस्थितियाँ पर्यावरण, परिवहन, शिक्षा, संचार, व्यापार, चिकित्सा
सुविधा आदि कारक नगरों को गतिशील बनाये रखते हैं परन्तु ये कारक प्रदुषण के लिए भी
मार्ग प्रशस्त करते हैं।उद्योगों से निकले अपशिष्ट पदार्थों की निपटान (Waste disposal from industries) तथा अन्य मानव क्रियाओं के
फलस्वरुप जल की गुणवत्ता में आये ऐसे परिवर्तन जिनके कारण जल पीने, घरेलू कार्यों, कृषि, मत्स्य पालन तथा अन्य कार्यों के लिये अनुपयुक्त हो
जाता है, जल प्रदूषण (Water
pollution) कहलाता
है।