• April to June 2024 Article ID: NSS8668 Impact Factor:8.05 Cite Score:22681 Download: 211 DOI: https://doi.org/ View PDf

    आधुनिक कृषि का पर्यावरण पर प्रभाव: झाबुआ जिले के विशेष सन्दर्भ में

      राधुसिंह भूरिया
        शोधार्थी, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.)
      डॉ. आर.आर. गोरास्या
        सह-प्राध्यापक (से.नि.) शासकीय माधव कला वाणिज्य एवं विधि महाविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.)

शोध सारांश- आधुनिक तकनीकी के अधिक प्रयोगों से अध्ययन क्षेत्र में कृषि उत्पादन में विगत वर्षों के अन्तर्गत वृद्धि हो रही है। भारत में भी स्वतंत्रता के बाद हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप 1997 में खाद्यान्न की कमी की समस्या का निवारण कर भारत खाद्यान्नों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ। बढ़ती जनसंख्या के सन्दर्भ में आत्मनिर्भर होना खाद्यान्नों के अधिक उत्पादन के साथ प्रगति का परिचायक हुआ। खाद्यान्नों में अधिक उत्पादन हेतु सिंचाई के साधन, रासायनिक उर्वरक, कीटाणु नाशक एवं यंत्रों का उपयोग विगत वर्षों से निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है, परन्तु इनके प्रयोग से भविष्य में पर्यावरण पर इसका प्रभाव पड़ने की पूर्ण सम्भावना है।

शब्द कुंजी- आधुनिक कृषि, कीटनाशक, रासायनिक उर्वरक, पारिस्थितिकी।