• January to March 2024 Article ID: NSS8677 Impact Factor:7.67 Cite Score:3434 Download: 81 DOI: https://doi.org/ View PDf

    महिला जनप्रतिनिधियों का पंचायती राज संस्थाओं में सशक्तिकरण का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन

      अंजली रजक
        शोधार्थी (समाजशास्त्र) मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर (राज.)
  • शोध सारांश- महिला सशक्तिकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे दुर्बल एवं उपेक्षित महिलाओं के समूहों की क्षमता बढ़े। जिससे महिलाओं को अपने सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक स्थिति में डालने वाले मौजूदा शक्ति संबंधों को बदल कर सक्षम कर सकें। नारी सशक्तिकरण से तात्पर्य उसको आत्मनिर्भर बनाना है। नारी को समाज में समानता प्रदान करना है। महिला सशक्तिकरण का अभिप्राय सत्ता प्रतिष्ठानों में स्त्रियों की साझेदारी है। निर्णय लेने की क्षमता सशक्तिकरण का एक बड़ा मानक है। इस प्रकार महिला सशक्तिकरण का अर्थ है- उनके द्वारा समाज की वर्तमान व्यवस्था और तौर-तरीकों को चुनौतीयों में समान अवसर, राजनैतिक व आर्थिक नीति निर्धारण में भागीदारी, समान कार्य के लिए समान वेतन कानून के तहत सुरक्षा, प्रजनन का अधिकार आदि। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिला को शक्ति सम्पन्न बनाना ताकि वह सहजता से अपने जीवन-यापन की व्यवस्था कर सकें।

    शब्द कुंजी- पंचायती राज, विचारधारा, सहभागिता, निर्णय लेने की क्षमता, क्षेत्रीय मुद्धे।