• April to June 2024 Article ID: NSS8682 Impact Factor:8.05 Cite Score:2924 Download: 75 DOI: https://doi.org/ View PDf

    भारतीय लोक साहित्य (गढ़वाली, बुन्देली, हरियानी, बघेली, छत्तीसगढ़ी, मालवी, निमाड़ी, राजस्थानी)

      डॉ. रमेशकुमार टण्डन
        सहायक प्राध्यापक (हिन्दी) शास0 महात्मा गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, खरसिया (छ.ग.)
  • प्रस्तावना-  भारत को समग्ररूपेण समझना हो, तो भारत के विभिन्न क्षेत्रों में निवासरत लोगों के जन जीवन, उनकी जीवन-शैली एवं उनके मध्य प्रचलित संस्कृति को बेहद करीब से अवलोकन करना आवश्यक होता है। परन्तु भौगोलिक क्षेत्र इतना विस्तृत और दुर्गम है कि सुगमता से सभी स्थानों तक पहुँच पाना सम्भव नहीं हो सकता। अतः विद्वानों द्वारा समय-समय पर लोक साहित्य के रूप में लिखित ग्रन्थों के अध्ययन से सम्पूर्ण भारत के जन जीवन को समझा जा सकता है। यहाँ गढ़वाली, बुन्देली, हरियानी, बघेली, छत्तीसगढ़ी, मालवी, निमाड़ी, राजस्थानी लोक साहित्य का संक्षिप्त विवेचन प्रस्तुत किया गया है।