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January to March 2024 Article ID: NSS8693 Impact Factor:7.67 Cite Score:209 Download: 18 DOI: https://doi.org/ View PDf
पाठ्यक्रम में अन्तर्निहित मूल्यों की समीक्षा
विजय राज त्रिवेदी
शोध छात्र, कोटा विश्वविद्यालय, कोटा एवं सहायक आचार्य, भगवती शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, गंगापुर सिटी (राज.)डॉ. कृष्ण कान्त शर्मा
प्राचार्य, भगवती शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, गंगापुर सिटी (राज.)
प्रस्तावना- नैतिकता एक शाश्वत मूल्य
है इसकी उपेक्षा हर युग में रही है। कहा भी गया है कि स्वास्थ्य खराब होने पर थोड़ा
नुकसान, धन का नुकसान भी बड़ा नुकसान लेकिन चरित्र का पतन राष्ट्र और समाज का पतन है।
जिस युग में धर्म और नीति के पाँव लड़खड़ाने लगे हो साम्प्रदायिकता, धार्मिक सहिष्णुता,
जातिवाद, आतंकवाद, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार आदि बीमारियाँ सरि उठाये खड़ी हैं। उस समय
नैतिकता की आवाज को बुलन्द करना और अधिक आवश्यक हेाता है। राष्ट्र को चाहिए त्यागी
और समाज सेवी लोगा। अतः प्रत्येक व्यक्ति को आत्मविश्वासी बनाना होगा। अपने पुरूषार्थ
से अपनी आतंरिक आध्यात्मिक शक्तियों को विकसित करना होगा। आज के युवा समाज का निर्माण
संस्कार की कसौटी पर बनता हैं। निष्कर्ष रूप में कह सकते हैं कि व्यक्ति समाज और अंततः
पूरे विश्व को उन्नत करने के लिए विद्यार्थियों में नैतिकता या चारित्रिक दृढ़ता का
होना अत्यन्त आवश्यक है। नैतिक मूल्यों के विकास के लिए घर, विद्यालय तथा पाठ्यचर्या
के माध्यम से सतत् प्रयास करने होगें। सिर्फ उपदेश देकर नैतिकता या चारित्रिकता का
पाठ तो पढ़ाया जा सकता है लेकिन उसे विद्यार्थियों के आचरण में नहीं उतारा जा सकता।
नैतिक मूल्यों को आचरण में उतारने के लिए आवश्यक है कि परिवार के सदस्य और अध्यापक
अपने व्यक्तित्व के माध्यम से वांछित गुणों को विद्यार्थियों के व्यक्तित्व में सन्निहित
कराये।