
-
April to June 2024 Article ID: NSS8697 Impact Factor:8.05 Cite Score:29858 Download: 243 DOI: https://doi.org/ View PDf
जनजातियों के सामाजिक एवं सांस्कृतिक परम्पराओं पर आर्थिक विकास का प्रभाव (दक्षिणी राजस्थान के विशेष संदर्भ में)
डॉ. निशा शर्मा
सहायक प्राध्यापक (अर्थशास्त्र) राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मन्दसौर (म.प्र.)
प्रस्तावना- वर्तमान में जनजाति समाज
की संस्कृति तथा सभ्यता की सीमाएँ जंगलों तक ही सीमित नहीं रही। जहां विकास के कारण
यह समाज शहरों की ओर अग्रसर हुआ है, वही इनका सम्पर्क शहरों व कस्बों के निवासियों
से होने लगा और अर्थोपार्जन के नवीन आयामों के चलते जनजाति समाज भी हिन्दू, मुस्लिम,
ईसाई आदि के सम्पर्क में आए हैं, जिससे इनमें संस्कृतिकरण का श्रीगणेश हुआ। देश में
औद्योगीकरण, शहरीकरण, उदारीकरण एवं शिक्षा के प्रसार की तीव्रता के चलते इन परिवारों
के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक तथा जीवन से जुड़े अन्य संरचनात्मक पहलुओं
में परिवर्तन परिलक्षित हो रहे हैं। प्रस्तुत शोध भारत में आर्थिक विकास के कारण, जनजातियों
में सामाजिक, सांस्कृतिक परिवर्तन पर प्रकाश डाल रहा है।














