-
July to September 2024 Article ID: NSS8723 Impact Factor:8.05 Cite Score:665 Download: 35 DOI: https://doi.org/ View PDf
भीलवाड़ा नगर की जनसंख्या के सन्दर्भ में नगरीकरण का भौगोलिक विश्लेषण-2011 की जनगणना के आधार पर
शबनम तंवर
शोधकत्र्ता, महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर (राज.)डॉ. काश्मीर कुमार भट्ट
शोध पर्यवेक्षक, महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर (राज.)
शोध सारांश: ‘नगर एवं नगरीकरण’ये दोनों भिन्न शब्द है एवं दोनों का अर्थ भी भिन्न-भिन्न
होता है। परन्तु यदि बात की जाए दोनों शब्दों के सम्बन्ध की तो दोनों में घनिष्ठ सम्बंध
है एवं दोनों शब्द प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से अन्तर्संबन्धित है। परन्तु नगर मात्र
नगरीकरण से प्रत्यक्ष रूप से अन्तर्सबन्धित नहीं है बल्कि उस नगर की जनसंख्या भी नगर
से उतनी ही घनिष्ठता रखती है कि क्योंकि नगरीकरण का एक स्वतन्त्र पक्ष या स्तंभ- जनसंख्या
भी है।
जहाँ भी किसी नगर के नगरीकरण का विश्लेषण किया जाता है
तो वहाँ सर्वप्रथम जिस तत्त्व को आधार बनाया जाता है वह है जनसंख्या।
प्रस्तुत शोध पत्र में भीलवाड़ा नगर की वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर, भीलवाड़ा नगर का वार्ड अनुसार भौगोलिक - जननांकिय आँकड़ों का विश्लेषण किया गया है। जिसमें प्रत्येक वार्ड की कुल जनसंख्या/अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति सहित अनेक पक्षों का तुलनात्मक अध्ययनकिया गया है। इसके लिए शोध में द्वितीयक आँकड़ों का प्रयोग किया गया है, जो कि जनगणना विभाग, राजस्थान द्वारा उपलब्ध करवाये गए है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं कार्यशील जनसंख्या का नगरीकरण के साथ सम्बंध ज्ञात करने हेतु कोटि अंतर गुणांक सहसम्बंध का प्रयोग किया गया है। वार्डों की भौगोलिक स्थिति दर्शाने हेतु नगर की ‘नगर परिषद’हेतु जारी मानचित्र का प्रयोग किया गया है साथ ही आँकड़ों के व्यवस्थित प्रबंधन हेतु तालिकाओं का प्रयोग किया गया है।
शब्द कुंजी: नगरीकरण, भौगोलिक विश्लेषण, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति कार्यशील जनसंख्या, ग्रामीण नगरीय, सहसम्बंध।