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July to September 2024 Article ID: NSS8730 Impact Factor:8.05 Cite Score:364 Download: 25 DOI: https://doi.org/ View PDf
ऋग्वैदिककाल से सूत्रकाल तक का सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास का विश्लेषणात्मक अध्ययन
डॉ. अमित कुमार ताम्रकार
सहायक प्राध्यापक (इतिहास) स्वामी विवेकानंद शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, नरसिंहपुर (म.प्र.)
शोध सारांश- ऋग्वेद संहिता आर्यों की सबसे पहली साहित्यिक रचना है। जो उनके जीवन के आरंभिक चरण पर प्रकाश डालती है जिसमें उनके सुव्यवस्थित सामाजिक संगठन का आभास मिलता है।आर्य अपनी खानाबदोशी छोड़कर स्थायी रूप से मकान में रहने लगे थे। इन घरों में आर्यों ने एक सुखद पारिवारिक जीवन का विकास किया। उसका रूप आज भी हम अपने चारों ओर पाते हैं। आर्यों के सामाजिक जीवन की इकाई संयुक्त परिवार था। पितृसत्तात्मक परिवार आर्यों के कबीलाई समाज की बुनियादी इकाई था। समाज में महिलाओं की अच्छी प्रतिष्ठा थी। उत्तर वैदिक काल में आर्यों का समाज धीरे-धीरे जटिल होता चला गया। यह जटिलता प्रत्येक क्षेत्र में परिलक्षित हुई। धार्मिक कृत्यों की उत्तरोत्तर बढ़ती हुई महत्ता तथा जीवन के बदलते हुए दृष्टिकोण इस परिवर्तन के मूल में थे। सूत्रकाल तक आते-आते वर्णों का पारस्परिक विभेद अत्यधिक बढ़ गया। समाज में अस्पृश्यता का उदय हुआ। सूत्रकाल में स्त्रियों की दशा वैदिक काल की अपेक्षा हीन थी तथापि परिवार में उन्हें सम्मानित स्थान प्राप्त था।
शब्द कुंजी- ऋग्वैदिक काल, उत्तरवैदिक काल,
सूत्रकाल, समाज,संस्कृति, विकास।