• July to September 2024 Article ID: NSS8755 Impact Factor:8.05 Cite Score:20700 Download: 202 DOI: https://doi.org/ View PDf

    अमरकांत के उपन्यास साहित्य में चित्रित स्त्री की समस्याएँ

      स्मिता मिठोरा
        शोधार्थी (हिन्दी) माता जीजाबाई शासकीय स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय, इंदौर (म.प्र.)
      डॉ. वंदना अग्निहोत्री
        प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष (हिन्दी) माता जीजाबाई शासकीय स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय, इन्दौर (म.प्र.)

प्रस्तावना- भारत - कर्मभूमि, वेदभूमि है। सदियो से हम वेदो का पालन, उपनिषदों के अनुसार आचरण और प्राचीन मान्यताओ को सुरक्षित रूप से मानते आये हैं। जैसे अतिथि सत्कार, स्त्री के प्रति आदर भाव कर्मकांडो पर विश्वास, धर्मनिष्ठता आध्यात्मिक परंपराओ के अनुसार गतिविधियो को पालन करते रहे है। विशेष रूप से इस धरती पर स्त्री को साक्षात् देवी के रुप मे ऊँचा स्थान प्रदान किया गया था । प्रकृति स्वरूपा नारी को कभी ज्ञानदायिनी (सरस्वती), भाग्यदायिनी (लक्ष्मी) और कभी प्रचंड शक्ति के रूप में (महाकाली) पूजते आये हैं। नारी के प्रति हमारी यह धारणा रही है। ‘’यत्रनार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता’’अर्थात् जहाँ स्त्री की पूजा होती है वहाँ देवतागण निवास करते हैं। वैदिक काल में स्त्री को केवल मान-सम्मान ही नहीं दिया जाता था बल्कि पुरुषों के साथ समान रूप से उनका महत्व माना जाता था।