• January to March 2024 Article ID: NSS8765 Impact Factor:7.67 Cite Score:901 Download: 41 DOI: https://doi.org/ View PDf

    मालवा के खिलचीपुर राज्य का उदय एवं विस्तार एक ऐतिहासिक अध्ययन

      डॉ. ओमप्रकाश गेहलोत
        सहायक प्राध्यापक (इतिहास) शासकीय महाविद्यालय, शामगढ़, जिला मंदसौर (म.प्र.)
  • प्रस्तावना- खिलचीपुर राज्य का उदय कैसे हुआ? इस संबंध में अलग-अलग ग्रंथों में अलग-अलग जानकारी प्राप्त होती है। इस संबंध में शोध कार्य करने पर प्रथम ग्रंथ खि.रि.की ह.ख्यात से जानकारी प्राप्त होती है। जिसके अनुसार जब रायसल के द्वारा गागरोनगढ़ का क्षेत्र दबा लिया तो, उस परिस्थिति में उसने खाताखेड़ी के भील ठाकुर चक्रसेन और रामकिशन की मदद से मनोहर थाना के क्षैत्र को अपना निवास स्थान बनाया। इन दोनो शासको की मदद से वह बादशाह शेरशाह से मिला और बादशाह की शाही सेवा में सम्मिलित हो गया, उसने बादशाह शेरशाह की सेवा मन लगाकर की। अवसर पाकर उसने रायसल के द्वारा धोखा करने की कहानी बादशाह को सुनाई। बादशाह ने प्रसन्न होकर उसको गागरोन तो समर्पित नही किया, क्योंकि वह क्षेत्र अब रायसल के नाम मुगल सत्ता ने स्वीकार कर रखा था। अतः उसको एक नवीन राज्य जो कि सारंगपुर के पास में स्थित खेजड़पुर था। वहाँ पर जाकर अपना राज्य स्थापित करने की अनुमति प्रदान की। उग्रसेन ने मालवा में आकर नाहरदा नामक गाँव बसाया और वहाँ पर निवास करना शुरू किया और खेजड़पुर का नाम खिलचीपुर कर 1544 ई. में राव उग्रसेन के नाम से गद्दी पर बैठा, परंतु खि.रि.की ह.लि.ख्यात में उल्लेखित इस घटना का समर्थन भ.रा.मं ग्रंथ एवं मालवा का गजेटियार के आधार पर नही होता। इन दोनो गं्रथों के आधार पर ज्ञात होता है, कि राव उग्रसेन को उसकी सेवाओं से प्रसन्न होकर मुगल बादशाह अकबर ने खिलचीपुर की सनद प्रदान की थी।