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July to September 2024 Article ID: NSS8766 Impact Factor:8.05 Cite Score:66707 Download: 364 DOI: https://doi.org/ View PDf
मधुबनी एवं वरली कलाओं का तुलनात्मक अध्ययन
मीना
शोधार्थी, जे0 के0 पी0 पी0जी0 कॉलेज, मुजफ्फरनगर (उ.प्र.)डॉ. निशा गुप्ता
एसोसिएट प्रोफसर, जे0 के0 पी0 पी0जी0 कॉलेज, मुजफ्फरनगर (उ.प्र.)
प्रस्तावना- भारतीय लोक कला में मधुबनी
एवं वरली दोनों ही कलाओं का महत्वपूर्ण स्थान है। गंगा के उत्तरी किनारों की तलहटी
की उपजाऊ भूमि पर हरे-भरे पेड़ों की हरितिमा से मन को लुभाते प्राकृतिक दृश्य वाला बिहार
राज्य नेपाल की सीमा को स्पर्श करता है। उत्तर में हिमालय, पूर्व में कौशिक नदी, दक्षिण
में गंगा और पश्चिम में गंड़की नदी से घिरा उपजाऊ भूमि वाला यह भू-भाग आम, लीची एवं
केले के बागानों के खूबसूरत प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा है। कृषि एवं पशुपालन पर आजीविका
हेतु आश्रित प्रत्येक वर्ष प्राकृतिक आपदाताओं से प्रभावित यह क्षेत्र आर्थिक रूप से
पिछड़ा हुआ है। बिहार राज्य के मधुबनी, दरभंगा सीतामढ़ी, सहरसा तथा पूर्णियाँ जिले मधुबनी
कला के मुख्य केन्द्र रहे हैं। यह क्षेत्र भारत के पूर्वी भाग में स्थित है। महाराष्ट्र
तथा गुजरात राज्य की सीमा के आस-पास के मैदानी एवं पहाड़ी क्षेत्र में निवास करने वाली
महान वरली जनजाति भारत के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है। यह आदिवासी समुदाय महाराष्ट्र
राज्य के ठाणे जिले के दहानू, तालासेरी, मोखडा, पालघर, शाहपुर तथा जवाहर तालूका में
अधिकांश रूप से निवास करता है।
