• January to March 2024 Article ID: NSS8779 Impact Factor:7.67 Cite Score:15697 Download: 176 DOI: https://doi.org/ View PDf

    संत रविदास और उनका भक्ति मार्ग

      डॉ. डी.पी. चंद्रवंशी
        सहा. प्राध्यापक (हिन्दी) शा.जे.एम.पी. महाविद्यालय, तखतपुर, जिला- बिलासपुर (छ.ग.)

शोध सरांश - संत समाज अपने घर, मोहल्ल, देश, समाज व युग की सीमाओं से परे होते है किसी बंधन से वे बंधे नहीं होते। वे अपने नहीं अपितु सबके होते हैं। संत समाज भूत, भविष्य, वर्तमान को अपने में पिरोए रहते हैं। ये आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्ग दर्शक प्रेरक और पूजनीय होते हें। संपूर्ण समाज इनके वचनों से अभिभूत होता है। समाज का दर्पण संत है जो समाज को एक सूत्र में पिरोए रहते हैं। समाज में एकता, समानता, बंधुत्व, सहृदयता, शिष्टता की भावनाओं को विकसित करने में धर्म के प्रति अटूट श्रद्धा लोग संत समाज से ही प्राप्त करते है। इस संत समाज के विचारक पथद्रष्टा संत रविदास हैं।