
-
April to June 2024 Article ID: NSS8790 Impact Factor:8.05 Cite Score:63747 Download: 356 DOI: https://doi.org/ View PDf
आचार्य बच्चूलाल अवस्थी: एक दैदीप्यमान नक्षत्र
श्रीमती राजश्री जोशी
शोध छात्र, संस्कृत अध्ययनशाला, सुमन मानविकी भवन, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.)
प्रस्तावना - संस्कृत विश्व की प्राचीनतम
भाषाओं में परिगणित होती है। यह जितनी पुरानी है इसका साहित्य उतनी ही नवीनता लिये
हुये है। रामायण, महाभारत एवं पुराण आदि सभी साहित्य इस संस्कृत भाषा में ही निबद्ध
हैं। आज भी उत्कृष्ट साहित्य सृजन इस भाषा में सृजित किया जा रहा हैं।
अर्वाचिन कवि भी आज की सामाजिक परिस्थितियों व वातावरण को संस्कृत भाषा में अत्यन्त सरलता व सहजता से अपनी रचनाओं में स्थान देते हैं।
संस्कृत
साहित्य भारतीय समाज के उत्कृष्ट जीवनमूल्यों, जीवनदर्शन, आध्यात्मिकता, सांस्कृतिक
एवं सामाजिक परम्पराओं का प्रतिबिम्ब है। संस्कृत साहित्य भारतीय संस्कृति का संवाहक
भी है।














