• October to December 2024 Article ID: NSS8808 Impact Factor:8.05 Cite Score:10878 Download: 146 DOI: https://doi.org/ View PDf

    नगरीय विवाहित महिलाओं के विरूद्ध पारिवारिक हिंसा : एक समाजशास्त्रीय अध्ययन

      डॉ. पूजा तिवारी
        सह प्राध्यापक एवम विभागाध्यक्ष (समाजशास्त्र ) शासकीय महाविद्यालय, बिछुआ, जिला छिन्दवाड़ा (म.प्र.)

शोध सारांश- प्रत्येक समाज चाहे वह कितना ही सभ्य कहलाने लगे ,परन्तु अपराध एवम हिंसा का अस्तित्व किसी न किसी रूप में वह अवश्य होता है ,किसी भी समाज की सामाजिक संस्थओं में परिवार नामक संस्था का विशेष महत्व है ,जब परिवार की परिधि में पुरूष महिलाओं के प्रति असामाजिक और कानून विरोधी व्यवहार करता है तो उसे ‘’दुर्व्यवहार ‘’ कहा जाता है ,किन्तु जब यह दुर्व्यवहार बढ़ जाता है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है |भारतीय समाज परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है और इस परिवर्तन का सबसे ज्यादा प्रभाव सामाजिक संस्थाओं पर पीडीए है ,महिलाओं के विरूद्ध पारिवारिक हिंसा एक गंभीर समस्या है ,घरेलू हिंसा कानून 2005 पारित एवम लागू  होने के बाद भी पारिवारिक हिंसा के प्रकरणों में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है पति पत्नीं में तनाव की स्थिति का खामियाजा पत्नी को महंगा पड़ता हैं और यह स्थिति घरेलू हिंसा को जन्म देती है ,पारिवारिक हिंसा को परिवार का निजी मामला मानते हुए लगभग पूर्ण रूपेण छिपा कर रखा जाता रहा है किन्तु महिलाओं की प्रस्थिति में सुधार होने एवम शिक्षा के कारण एवम महिलाओं के सहस के कारण पारिवारिक हिंसा के मामले बाहर तक आ रहें हैं जिससे पता लगता है की यह हिंसा बहुत व्यापक है ,पारिवारिक हिंसा महिलाओं के विरूद्ध होने वाली हिंसा का प्रमुख रूप है |

शब्द कुंजी – महिला ,हिंसा ,नगरीय ,घरेलू ,उत्पीडन|