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October to December 2024 Article ID: NSS8809 Impact Factor:8.05 Cite Score:373 Download: 26 DOI: https://doi.org/ View PDf
अनुसूचित जनजाति की महिलाओं की सामाजिक चुनौतियां (बड़वानी जिले के विशेष संदर्भ में)
दिनेश भुगवाडे
शोधार्थी, राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रशासन अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.)
शोध सारांश- किसी भी समाज में महिलाओं का विकास महत्वपूर्ण है शिक्षित महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होती है एवं किसी भी शासकीय योजनाओं का लाभ उठाने में सफल होती है महिलाओं के विकास के लिए विश्वव्यापी राष्ट्रीय प्रचार और जागरूकता कार्यक्रम चलाना अति आवश्यक है जिसमें समाज और राष्ट्र के स्वरूप एवं संतुलित विकास में महिलाओं की भूमिका और उसकी उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता है क्योंकि एक महिला अपने बच्चै के व्यक्तित्व एवं चरित्र को जिस रूप में ढालती हैं जैसा आकार प्रदान करती है वैसा ही राष्ट्र के चरित्र का निर्माण होता है देश में महिलाएं लगभग 50 करोड़ जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करती है जो कि समाज का बहुमूल्य अंग मानी जाती है कोई समाज महिलाओ में विद्यमान संभावना को अनदेखा कर सकता है जब महिलाएं शिक्षित एवं जागरूक नहीं होती है।
अरस्तू के अनुसार मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है सामाजिक प्राणी होने के नाते वह सामाजिक संबंधों की स्थापना हेतु व्यक्ति को अन्य व्यक्तियों से संपर्क करना होता है तथा साथ ही वह अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए समूह के अन्य व्यक्तियों से संपर्क करना होता है साथ ही अन्य व्यक्तियों से क्रिया तथा अन्य क्रियाएं करता है इन सब के बावजूद भी इसे कुछ अभाव बना ही रहता है जिसे विभिन्न समस्याएं जीवन में उभर कर सामने आती है।
शब्द कुंजी-अनुसूचित जनजाति, महिलाओं/महिलाएं, जीवन, शिक्षित, जागरूकता।