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October to December 2024 Article ID: NSS8831 Impact Factor:8.05 Cite Score:27730 Download: 234 DOI: https://doi.org/ View PDf
बीसवी शताब्दी में नारी: सुभद्रा कुमारी चैहान के साहित्य परिपेक्ष से
शोभा मेघवाल
व्याख्याता, राजकीय कन्या महाविद्यालय, फलासिया, जिला उदयपुर (राज.)
प्रस्तावना- ईश्वर की श्रेष्ठ संरचना
है पृथ्वीलोक, और इसके निर्माण में दो शक्तियों का अपना महत्वपूर्ण स्थान है प्रथम
नर और दूसरी नारी। इन दोनों के बिना जीव और जगत की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। निर्माण
की प्रारंभिक अवस्था में दोनों शक्तियों का समान स्वरूप था, परन्तु जैसे-जैसे मानवीय
संस्कृति का विस्तार होता गया वैसे-वैसे सृष्टि के इन दोनों स्वरूपों में दृष्टि भेद
बढ़ता गया, और स्त्री और पुरूष के मध्य यह भेद बीसवीं शताब्दी में अत्यधिक दिखाई देता
है।
