• July to September 2024 Article ID: NSS8840 Impact Factor:8.05 Cite Score:89 Download: 11 DOI: https://doi.org/ View PDf

    मैथिलीशरण गुप्त और साकेत

      डॉ. श्रीमती बिन्दू परस्ते
        सहायक प्राध्यापक (हिन्दी) प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस श्री अटल बिहारी वाजपेयी, शा. कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, इन्दौर (म.प्र.)
  • प्रस्तावना- मैथिलीशरण गुप्त हृदय से भक्त थे और स्वाभाव से उदार, विनम्र और मिलनसार साहित्य साधन के पवित्र कर्म में वे निरंतर संलग्न रहे। अपने जीवन के आदर्श उन्होंने भगवान राम, भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी जी से ग्रहण किए थे। गुप्त जी की रचनाओं से ऐसा प्रतीत होता है कि आप राम के अनन्य भक्त हैं। ‘‘साकेत’’ में तो राम का स्तवन है ही पर जो ग्रंथ कृष्ण के चरित्र का महाभारत की घटनाओं से संबंधित है वहां भी मंगल चरण में राम ही की वंदना है जैसे वक्त संहार में परन्तु मैथिलीशरण गुप्त जी की यह खासियत है कि उन जैसा उदार और विशाल हृदय व्यक्ति चिराग लेकर ढूंढने से भी नहीं मिलेगा। जिस लेखनी में ‘पंचवटी’ और साकेत का निर्माण किया उसी ने पौधों की करुणा का उद्घोष करने के लिए अवध-यशोधरा और कुणाल गीतकी रचना की, उसी ने मुसलमानों के चरित्र की महानता और सहनशीलता को अंकित करने के लिए हृदय को हिलाने वाली कर्बला की कहानी हमें सुनाई। दरअसल में मानवता के गायक थे। धर्मनिरपेक्षता और सहिष्णुता का मूल्य उनकी रग -रग में समाहित था। ‘विश्व वेदना’ की रचना उन्होंने धर्म और राष्ट्रीय भावना से ऊपर उठकर विश्व बंधुत्व का गीत गाने के लिए की।