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October to December 2024 Article ID: NSS8850 Impact Factor:8.05 Cite Score:54 Download: 8 DOI: https://doi.org/ View PDf
आर्थिक विकास और सामाजिक समानता चुनौतियां और अवसर
डॉ. राजेश कुमार शुक्ला
सहायक प्राध्यापक (समाजशास्त्र) श्री किशुन महाविद्यालय, खेजुरी बलिया (उ.प्र.)
शोध सारांश- आर्थिक विकास और सामाजिक
समानता किसी भी समाज के विकास के दो महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। आर्थिक विकास से देश की
समृद्धि बढ़ती है, जबकि सामाजिक समानता यह सुनिश्चित करती है कि इस विकास का लाभ समाज
के सभी वर्गों को समान रूप से मिले। हालांकि, इन दोनों को संतुलित करना एक बड़ी चुनौती
है। आर्थिक विकास की प्रक्रिया में आय असमानता एक प्रमुख समस्या है, जहां समाज का संपन्न
वर्ग तेजी से समृद्ध होता है, जबकि गरीब वर्ग हाशिये पर रह जाता है। शहरी-ग्रामीण विभाजन,
जहां शहरी क्षेत्रों में बेहतर अवसर उपलब्ध हैं और ग्रामीण क्षेत्र संसाधनों की कमी
से जूझते हैं, इस असमानता को और गहरा करते हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता,
विशेषकर गरीब और पिछड़े वर्गों के लिए, आर्थिक असमानता का एक और बड़ा कारण है। इसके अलावा,
लैंगिक असमानता और नीतिगत कमजोरियां भी सामाजिक समानता को बाधित करती हैं।
इन चुनौतियों के बावजूद, सामाजिक समानता सुनिश्चित करने के कई अवसर उपलब्ध हैं। समावेशी नीतियां, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को प्राथमिकता देने वाली योजनाएं, समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त कर सकती हैं। तकनीकी प्रगति, विशेषकर डिजिटलीकरण, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच के अंतर को कम करने में मदद कर सकती है। कौशल विकास और रोजगार सृजन कार्यक्रम युवाओं को आत्मनिर्भर बनाकर आर्थिक समानता की दिशा में बड़ा कदम हो सकते हैं। महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त करने से लैंगिक समानता बढ़ेगी और समाज की प्रगति तेज होगी। आर्थिक विकास और सामाजिक समानता एक-दूसरे के पूरक हैं। यदि इन दोनों के बीच संतुलन स्थापित किया जाए, तो समाज में न केवल आर्थिक समृद्धि होगी, बल्कि सामाजिक स्थिरता और समरसता भी बनी रहेगी। इसके लिए समावेशी नीतियों, सामुदायिक भागीदारी और दूरदर्शी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
शब्द
कुंजी - आर्थिक विकास, सामाजिक समानता, आय असमानता, शहरी-ग्रामीण विभाजन, शिक्षा
और स्वास्थ्य, तकनीकी प्रगति, महिला सशक्तिकरण।