• October to December 2024 Article ID: NSS8894 Impact Factor:8.05 Cite Score:10009 Download: 140 DOI: https://doi.org/ View PDf

    ग्रामीण आदिवासियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का अध्ययन

      डॉ. राकेश कुमार चैहान
        सहायक प्राध्यापक (अर्थशास्त्र) सरदार वल्लभ भाई पटेल शासकीय महाविद्यालय, कुक्षी (म.प्र.)

शोध सारांश- भारत की संस्कृति और सभ्यता की सम्पूर्णता अपने आप में अनूठी है। इसका प्रमुख कारण यहाँ के निवासियों की विभिन्न सांस्कृतिक अस्मिता है, जो अपने आप में एक मिसाल है, वहीं एकात्मकता भारतीय अस्मिता की परिचायक है। इसीलिए भारत को एकता में अनेकता का देश कहा जाता है। विभिन्न प्रजातीय तत्वों का मिश्रण होने के कारण कभी-कभी इसे प्रजातियों का अजायबघर भी कहा जाता है। यहाँ वन प्रदेशों तथा पर्वतीय क्षेत्रों में निवास करने वाले अनेक मानव-समुदाय मानव सभ्यता के विकास क्रम में विभिन्न कारणों से पृथक रह गये, फलतः विकास का प्रकाश वहाँ तक नहीं पहुँच पाया। इन दुर्गम और पृथक क्षेत्रों में निवास करने वाले मानव समुदाय सभ्यता की दृष्टि से अभी भी प्रारंभिक सोपानों पर ही हैं।

कुंजी शब्द- ग्रामीण आदिवासी, संस्कृति, मानव सभ्यता।