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October to December 2024 Article ID: NSS8907 Impact Factor:8.05 Cite Score:3562 Download: 83 DOI: https://doi.org/ View PDf
काव्यमीमांसा में वर्णित कविचर्या की प्रासंगिकता
डॉ. रामेश्वर प्रसाद झारिया
सहायक प्राध्यापक (संस्कृत) शासकीय महाकोशल कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.)
शोध सारांश- राजशेखर द्वारा रचित काव्यमीमांसा
यद्यपि अत्यन्त विस्तृत शास्त्रीय लक्षण ग्रंथ है किन्तु कविचर्या इस मायने में सर्वथा
भिन्न है, क्योंकि इसमें न तो काव्य की आत्मतत्त्व की तरह गवेशणा है और न ही स्थापना
बल्कि इन सारे सिद्धांतों के इतर कवियों के व्यक्तित्व परिवेश और दिनचर्या का विषद्
विवेचन हुआ है। प्रस्तुत आलेख में उन्हीं बातों की पड़ताल करना है कि संस्कृत साहित्य
के विकास क्रम में यायावरीय राजशेखर द्वारा स्थापित सैद्धांतिकी वर्तमान परिद्रष्य
में कितनी और कहाँ तक प्रासंगिक है और दिलचस्प है।














