
-
October to December 2024 Article ID: NSS8926 Impact Factor:8.05 Cite Score:15226 Download: 173 DOI: https://doi.org/ View PDf
मेवाड़ में झाला ठिकानों के अधीन आर्थिक व्यवस्था
देवा राम
शोधार्थी (इतिहास) मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर (राज.)
प्रस्तावना-अर्थ
मानव जीवन का
प्रमुख अंग है।
बिना अर्थ के
मनुष्य के नित्य
कर्म अवरूद्ध हो
जाते है। चाणक्य
का कथन ''अर्थ राज्यस्य मूलम, अर्थ धर्मस्थ
मूलम्''।
सत्य है कि
इतिहास के प्रत्येक
काल में तथा
वर्तमान में भी
अर्थ या राजस्व
ही किसी साम्राज्य, राष्ट्र,
राज्य व ठिकाने
का मूल आधार
तत्व है। मुख्य
वार्ता, वृत्ति
अर्थात् जीविका में
मनुष्य जीवन निर्वाह
हेतु कृषि,
पशुपालन तथा वाणिज्य
को साधन माना
जाता है। अर्थ
सभी वर्णो व
कालों में महत्वपूर्ण
है। भारतीय अर्थव्यवस्था मुख्यत ''ग्रामाश्रित''थी।














