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January to March 2025 Article ID: NSS9036 Impact Factor:8.05 Cite Score:475 Download: 29 DOI: https://doi.org/ View PDf
मेरठ परिक्षेत्र की वीरांगनाओं का आजादी के समर में योगदान
डॉ. सचिन कुमार
एसोसिएट प्रोफेसर (इतिहास) डी0ए0वी0 कॉलेज, मुजफ्फरनगर, माँ शाकुम्भरी विश्वविद्यालय, सहारनपुर (उ.प्र.)
शोध सारांश-
यत्र
नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।
यत्रैतास्तु
न पूज्यन्ते सर्वस्त्र्रफला क्रियाः।।
नारी
सदैव समाज में शक्ति व आस्था का स्वरूप मानी जाती रही है। वैदिक काल में हमें घोषा,
लोपामुद्रा, विश्ववारा, अपाला, गार्गी व अदिति जैसी विदुषी महिलाओं का वर्णन मिलता
है। महाजनपदकाल में बौद्ध धर्म से सम्बन्धित प्रजापिता गौतमी, आम्रपाली आदि भिक्षुणी
का वर्णन भी मिलता है। मध्यकालीन भारतीय समाज में रजिया सुल्तान, जोधाबाई, गुलबदन बेगम
आदि एवं आधुनिक भारतीय समाज में रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई, बेगम हजरतमहल, दुर्गा
भाभी ,एनी बेसेन्ट, मैडम भीकाजी कामा, कल्पना दत्ता, प्रीतिलता वादेकर आदि वीरांगनाओं के बारे में इतिहास के स्वर्णिम पन्नों
में पढने और जानने को मिलता है।
भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में महिलाओं का योगदान हमेशा अविस्मरणीय रहेगा। उन्होंने भारतीय समाज के हर वर्ग में राष्ट्रीयता व देशप्रेम की भावनाओं को जागृत करने में महती भूमिका निभाई थी। उन्होंने 1857 ई0 की क्रांति से लेकर 1947 ई0 की आजादी की बेला तक हुए अनेकों आन्दोलनों में प्रतिभाग किया था। उदाहरणार्थ, असहयोग आन्दोलन, बारडोली सत्याग्रह, नमक आन्दोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन आदि।
शब्द कुंजी- नमक आन्दोलन, मायादास, विधावती,
उर्मिला शास्त्री, शास्त्री देवी, विलायती कपडे, पिकेटिंग, व्यापारी वर्ग।














