• January to March 2025 Article ID: NSS9037 Impact Factor:8.05 Cite Score:742 Download: 37 DOI: https://doi.org/ View PDf

    जीएसटी का समीक्षात्मक अध्ययन

      डॉ. आलोक कुमार यादव
        मॉडर्न ऑफिस मैनेजमेंट, इंदिरा गाँधी शासकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)

शोध सारांश - एक देश, एक कर और एक बाज़ार की अवधारणा के साथ सम्पूर्ण भारत में 1 जुलाई 2017 से गंतव्य और उपभोग आधारित अप्रत्यक्ष कर के रूप में जीएसटी व्यवस्था लागू की गई। जब इसे लागू किया गया है तब से सरकार ने इसे देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने वाला कहा है वहीँ ने विपक्ष ने इसे जल्दबाजी में उठाया गया कदम बताया। यह कर व्यवस्था अपनी प्रारम्भिक रूकावटो के बाद अब परिपक्वता की ओर बढ़ रही है। लगभग 40 प्रकार के कर और उपकर(सेस) के स्थान एक टैक्स जीएसटी होने से व्यवसायियों और टैक्स प्रेक्टिसनर के कार्यों में सरलता आई है। जीएसटी लागू करते समय सरकार का दावा था कि इससे कीमतों की कमी आएगी जो आम उपभोक्ताओं की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा।

    टैक्स इनवॉइस, रजिस्ट्रेशन और रिटर्न फाइल करते समय पोर्टल के बार-बार अवरोधों के कारण आवश्यक औपचारिकताएँ समय पर पूर्ण नहीं हो सकी । जीएसटी लागू होने के शुरुवाती समय में विकास दर में गिरावट देखी गयी इसी प्रकार कर संग्रह भी अपेक्षाओं के अनुरूप संग्रहित नहीं हो सका। लेकिन विगत तीन वित्तीय वर्षो में कर संग्रह में आशातीत वृद्धि हुई है। सापेक्ष दृष्टिकोण से जीएसटी का मिश्रित प्रभाव देखा गया है। प्रस्तुत अध्ययन में इसकी विवेचना की गई है। यह शोधपत्र द्वितीयक आंकड़ों पर आधारित है। शोधपत्र मौजूदा साहित्य पर आधारित है और इसमें इंटरनेट स्रोतों का उपयोग किया गया है। विभिन्न लेखों, शोधों, सरकारी रिपोर्टों, समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, विभिन्न वेबसाइटों और इंटरनेट पर उपलब्ध सूचनाओं का अध्ययन किया गया है।

शब्द कुंजी- जीएसटी, जीएसटीएन, इनपुट टैक्स क्रेडिट, रजिस्टर्ड डीलर, कम्पोजीशन स्कीम, वेट और आबकारी शुल्क।