• October to December 2024 Article ID: NSS9052 Impact Factor:8.05 Cite Score:278 Download: 21 DOI: https://doi.org/ View PDf

    वर्ष 2014 के पश्चात भारत इजरायल संबंधों का भारत की आंतरिक व बाह्य सुरक्षा पर प्रभाव

      डॉ. मुकेश कुमार वर्मा
        सहायक आचार्य (राजनीति विज्ञान) राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर (राज.)
      संदीप कुमार
        शोधार्थी (राजनीति विज्ञान) राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर (राज.)

शोध सारांशः 1992 में स्थापित भारत-इजरायल रक्षा सहयोग ने 2014 के बाद गति पकड़ी, जिससे भारत की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा को महत्वपूर्ण लाभ हुआ। वायु सुरक्षा के क्षेत्र में इजरायली AWACS, SPYDER मिसाइल प्रणाली और हरॉन TP ड्रोन ने पाकिस्तान व चीन के खतरों का मुकाबला करने की भारत की क्षमता बढ़ाई। समुद्री सुरक्षा में EL/M -2248 रडार और बराक-8 मिसाइलों ने हिंद महासागर में चीन की गतिविधियों तथा समुद्री आतंकवाद से निपटने में सहायता की। जमीनी सुरक्षा में इजरायली नेगेव MG7, TAVOR राइफल और संयुक्त उत्पादन ने सीमा सुरक्षा व नक्सल विरोधी अभियानों को सशक्त बनाया। आंतरिक सुरक्षा के लिए रॉ-मोसाद सहयोग, साइबर सुरक्षा समझौते (CERT-In & INCD) और आतंकवाद निरोधक तकनीकों ने भारत को आतंकी नेटवर्क्स व साइबर खतरों से लड़ने में सक्षम बनाया। इस साझेदारी ने भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाने और क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य में रणनीतिक बढ़त दिलाई है। भविष्य में संयुक्त अनुसंधान, सैन्य प्रशिक्षण और तकनीकी हस्तांतरण से यह सहयोग और प्रभावी होगा। हालाँकि, घरेलू राजनीतिक संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखते हुए इस रिश्ते को संतुलित करना आवश्यक है।

शब्द कुंजीः भारत इजरायल संबंध, भारत इजरायल रक्षा संबंध, भारत की आंतरिक सुरक्षा, भारत की बाह्य सुरक्षा, भारत की जमीनी, आकाशीय और समुन्द्री सुरक्षा आदि ।