• January to March 2025 Article ID: NSS9056 Impact Factor:8.05 Cite Score:494 Download: 29 DOI: https://doi.org/ View PDf

    महेश्वर में सांस्कृतिक पर्यटन की संभावनाएँ: धरोहर संरक्षण और सांस्कृतिक पुनरुत्थान के संदर्भ में

      श्रीमती कविता आर्य रामाणी
        सहायक प्राध्यापक, पूनमचंद गुप्ता वोकेशनल महाविद्यालय, खंडवा (म.प्र.)
      श्री पवन पाटीदार
        सहायक प्राध्यापक, पूनमचंद गुप्ता वोकेशनल महाविद्यालय, खंडवा (म.प्र.)

प्रस्तावनाभारत विविधताओं से परिपूर्ण एक ऐसा देश है जहाँ प्रत्येक क्षेत्र अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक पहचान रखता है। मध्यप्रदेश स्थित महेश्वर नगर, नर्मदा नदी के तट पर बसा एक ऐतिहासिक नगर है, जो अपनी राजवंशीय परंपराओं, धार्मिक स्थलों, तथा सांस्कृतिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। रानी अहिल्याबाई होलकर की प्रशासनिक और सांस्कृतिक दूरदृष्टि ने महेश्वर को एक जीवंत सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित किया।

    आज जब पर्यटन केवल मनोरंजन का साधन न होकर सांस्कृतिक बोध, स्थानीय जीवनशैली के अनुभव और धरोहर संरक्षण का माध्यम बन गया है, तब महेश्वर की प्रासंगिकता और अधिक बढ़ जाती है। सांस्कृतिक पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है जो पर्यटकों को न केवल स्थल भ्रमण कराता है बल्कि उन्हें उस भूमि की आत्मा से जोड़ता है। महेश्वर, अपनी स्थापत्य कला, घाटों, मंदिरों, उत्सवों और महेश्वरी वस्त्रों के कारण सांस्कृतिक पर्यटन की व्यापक संभावनाएँ प्रस्तुत करता है।

    हालांकि, आधुनिकता की दौड़ में कई पारंपरिक सांस्कृतिक पहचान खतरे में हैं। धरोहर स्थलों की उपेक्षा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कमी, और स्थानीय कारीगरों की समस्याओं के चलते महेश्वर की सांस्कृतिक छवि धीरे-धीरे मंद पड़ रही है। ऐसे में सांस्कृतिक पर्यटन को एक पुनरुत्थानात्मक शक्ति के रूप में देखा जा सकता है, जो न केवल धरोहरों की रक्षा करेगा, बल्कि स्थानीय संस्कृति को जीवंत बनाए रखने में भी सहायक होगा।

    यह शोध पत्र महेश्वर में सांस्कृतिक पर्यटन की संभावनाओं का अध्ययन करता है तथा यह विश्लेषण करता है कि कैसे धरोहर संरक्षण और सांस्कृतिक पुनरुत्थान को एक साथ जोड़ा जा सकता है। शोध का उद्देश्य है कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से पर्यटन की भूमिका का मूल्यांकन किया जाए, ताकि महेश्वर की संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल सके।