
-
January to March 2025 Article ID: NSS9073 Impact Factor:8.05 Cite Score:605 Download: 32 DOI: https://doi.org/10.63574/nss.9073 View PDf
बाठेड़ा रावत एकलिंगदास सारंगदेवोत का मेवाड़ इतिहास में योगदान
शिल्पा मल्लिक
छात्रा, एम.ए.(उत्तरार्ध) (इतिहास) मेवाड़ विश्वविद्यालय, गंगरार, चित्तौड़गढ़ (राज.)डॉ. हेमेन्द्र सिंह सारंगदेवोत
सह-आचार्य (इतिहास) मेवाड़ विश्वविद्यालय,गंगरार, चित्तौड़गढ़ (राज.)
प्रस्तावना- मेवाड़़़ के सूर्यवंशी गुहिलोत सिसोदिया वंश की स्थापना मेवाड़़़ में 6-7वीं शताब्दी ई. में हुई और अपने पितृ पुरुष गुहिल (566 ई.) के नाम से यह वंश गुहिलोत कहलाया। इस राजवंश के प्रसिद्ध शासक बप्पा रावल , खुमाण, जैतसिंह, महाराणा लाखा, कुम्भा, सांगा व प्रताप हुए। इनकी मुख्य वंशावली इस प्रकार रही।
राजा गुहिल, भोज, महेन्द्र, नाग, शीलादित्य या शील (646 ई.), अपराजित, महेन्द्र
द्वितीय, कालभोज बापा या बप्पा रावल, खुमाण, मत्तट, भर्तृभट्ट, सिंह, खुमाण द्वितीय,
महायक, खुमाण तृतीय, भर्तृभट्ट द्वितीय, अल्लट या आलू रावल (951 ई.), नरवाहन, शालिवाहन,
शक्तिकुमार (977 ई.), अंबा प्रसाद, शुचिवर्मा, नरवर्मा, कीर्तिवर्मा, योगराज, वैरट,
हंसपाल, वैरिसिंह, विजयसिंह, अरिसिंह, चोड़सिंह, विक्रमसिंह, रणसिंह या कर्णसिंह, रावल
क्षेमसिंह, रावल सामंत सिंह, कुमारसिंह, मथनसिंह, पद्मसिंह, जैत्रसिंह, तेजसिंह, समरसिंह,
रावल रत्नसिंह (1303 ई.), महाराणा हम्मीरसिंह (1326-1364ई.) महाराणा क्षेत्रसिंह या
खेता (1364-1382ई)।














